फाइल फोटो
नई दिल्ली:
ऐसे समय जब विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ललित मोदी को ब्रिटिश यात्रा दस्तावेज दिलाने में 'मदद' को लेकर विपक्षी दलों की आलोचनाओं का शिकार हो रही हैं, उनके मंत्रालय ने पूर्व आईपीएल प्रमुख से जुड़े पासपोर्ट मुद्दे के बारे में कोई जानकारी देने से इनकार किया है।
मंत्रालय ने उस आरटीआई आवेदन का जवाब देने से इनकार कर दिया, जिसमें सात सवाल शामिल थे। आवेदन में पूछा गया कि मोदी का पासपोर्ट बहाल करने के दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील नहीं करने का फैसला किसका था।
विदेश मंत्रालय ने 26 जून के अपने जवाब में कहा कि कृपया ध्यान दें कि विदेश मंत्री के कार्यालय ने जानकारी दी है कि आपकी आरटीआई में क्रम संख्या एक से तीन तक के सवाल आरटीआई कानून 2005 के दायरे में नहीं आते हैं। क्रम संख्या चार से सात तक के प्रश्नों के बारे में विदेश मंत्री कार्यालय के पास कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है।
विदेश मंत्रालय ने हालांकि कहा कि आवेदन उसके महावाणिज्यदूत, पासपोर्ट और वीजा संभाग तथा वित्त एवं गृह मंत्रालय के पास भेजा गया है।
मंत्रालय को 19 जून को हरियाणा के रायो नाम के व्यक्ति द्वारा दायर आरटीआई आवेदन मिला, जब विपक्ष ललित मोदी मामले में सुषमा पर दबाव बना रहा था।
शुरुआती तीन सवालों में पूछा गया कि अगर सुषमा ललित को पुर्तगाल जाने में मानवीय आधार पर मदद करना चाहती थीं तो उन्होंने ललित को भारतीय उच्चायोग में अस्थायी यात्रा दस्तावेज के लिए आवेदन करने की सलाह क्यों नहीं दी। आवेदन में यह भी पूछा गया कि विदेश मंत्री ने ललित को अस्थायी भारतीय यात्रा दस्तावेज जारी करने के बदले उनकी भारत वापसी की शर्त पर जोर क्यों नहीं दिया।
प्रश्न संख्या चार से सात तक पूछा गया कि क्या सरकार ने प्रवर्तन निदेशालय के सामने हाजिर होने से इनकार करने वाले ललित को रहने की इजाजत देने के लिए ब्रिटेन के सामने कोई आपत्ति जताई या नहीं।
आरटीआई आवेदन में ललित के इस आरोप पर सरकार का जवाब पूछा कि अगर वह भारत लौटे तो उनकी जिंदगी खतरे में होगी।
मंत्रालय ने उस आरटीआई आवेदन का जवाब देने से इनकार कर दिया, जिसमें सात सवाल शामिल थे। आवेदन में पूछा गया कि मोदी का पासपोर्ट बहाल करने के दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील नहीं करने का फैसला किसका था।
विदेश मंत्रालय ने 26 जून के अपने जवाब में कहा कि कृपया ध्यान दें कि विदेश मंत्री के कार्यालय ने जानकारी दी है कि आपकी आरटीआई में क्रम संख्या एक से तीन तक के सवाल आरटीआई कानून 2005 के दायरे में नहीं आते हैं। क्रम संख्या चार से सात तक के प्रश्नों के बारे में विदेश मंत्री कार्यालय के पास कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है।
विदेश मंत्रालय ने हालांकि कहा कि आवेदन उसके महावाणिज्यदूत, पासपोर्ट और वीजा संभाग तथा वित्त एवं गृह मंत्रालय के पास भेजा गया है।
मंत्रालय को 19 जून को हरियाणा के रायो नाम के व्यक्ति द्वारा दायर आरटीआई आवेदन मिला, जब विपक्ष ललित मोदी मामले में सुषमा पर दबाव बना रहा था।
शुरुआती तीन सवालों में पूछा गया कि अगर सुषमा ललित को पुर्तगाल जाने में मानवीय आधार पर मदद करना चाहती थीं तो उन्होंने ललित को भारतीय उच्चायोग में अस्थायी यात्रा दस्तावेज के लिए आवेदन करने की सलाह क्यों नहीं दी। आवेदन में यह भी पूछा गया कि विदेश मंत्री ने ललित को अस्थायी भारतीय यात्रा दस्तावेज जारी करने के बदले उनकी भारत वापसी की शर्त पर जोर क्यों नहीं दिया।
प्रश्न संख्या चार से सात तक पूछा गया कि क्या सरकार ने प्रवर्तन निदेशालय के सामने हाजिर होने से इनकार करने वाले ललित को रहने की इजाजत देने के लिए ब्रिटेन के सामने कोई आपत्ति जताई या नहीं।
आरटीआई आवेदन में ललित के इस आरोप पर सरकार का जवाब पूछा कि अगर वह भारत लौटे तो उनकी जिंदगी खतरे में होगी।
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