बिहार के मुजफ्फरपुर में एक शिकायत के बाद स्थानीय कोर्ट के आदेश पर देश की जानी मानी 49 हस्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई और फिर पुलिस जांच में शिकायत झूठी पाई गई. एफआईआर दर्ज होने पर बिहार की एनडीए सरकार की जमकर आलोचना होती रही. पुलिस के शिकायत झूठी पाई जाने का खुलासा करने के पहले बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने इस पर सफाई दी कि राज्य सरकार का इससे कोई लेना देना नहीं है. सुशील मोदी ने दावा किया है कि उसी याचिकाकर्ता सुधीर ओझा ने कुछ वर्ष पूर्व उनके खिलाफ भी शिकायत दर्ज कराई थी.
सुशील कुमार मोदी ने बुधवार को एक बयान में कहा कि बीजेपी ने कभी भीड़ की हिंसा का समर्थन नहीं किया. इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री को पत्र लिखने वालों के विरुद्ध दायर मामले से भाजपा या संघ परिवार का कोई वास्ता नहीं है. उप मुख्यमंत्री ने कहा कि एक आदतन मुकदमेबाज (सीरियल लिटिगेंट) ने महज अखबारी कतरनों के आधार पर देश की 49 हस्तियों के खिलाफ 23 जुलाई को प्राथमिकी दर्ज कराई थी, जिसमें अन्य आरोपों के साथ देशद्रोह वाली धारा भी जोड़ दी गई थी.
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सुशील मोदी ने कहा कि जो व्य़क्ति पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, अमिताभ बच्चन, रितिक रोशन सहित कई ख्याति प्राप्त लोगों के खिलाफ मामले दायर कर चुका है और जिसने अब तक 715 पीआईएल दायर की हैं, उसने चार साल पहले मेरे खिलाफ भी मामला दायर किया था. उन्होंने कहा कि ऐसे सीरियल लिटिगेंट के ताजा मुकदमे को तूल देकर पुरस्कार वापसी समूह और टुकड़े-टुकड़े गैंग के लोग केंद्र सरकार को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के विरुद्ध साबित करने की मुहिम चला रहे हैं.
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मोदी ने कहा कि संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी स्पष्ट किया कि संघ भीड़ की हिंसा के विरुद्ध है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि स्वयं प्रधानमंत्री मोदी और मोहन भागवत जैसे शीर्ष स्तर से इस मुद्दे पर कई बार नीति स्पष्ट किए जाने के बाद भी तथाकथित बौद्धिक एक मुकदमेबाज पर भरोसा करना चाहते हैं.
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