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This Article is From Nov 09, 2014

शिवसेना छोड़ बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर मोदी मंत्रिमंडल में शामिल हुए सुरेश प्रभु

शिवसेना छोड़ बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर मोदी मंत्रिमंडल में शामिल हुए सुरेश प्रभु
कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथग्रहण करते सुरेश प्रभु
नई दिल्ली:

आज सुबह बीजेपी की सदस्यता ग्रहण करने वाले शिव सेना के पूर्व नेता सुरेश प्रभु नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में शामिल हो गए। वह अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई वाली पहली एनडीए सरकार में भी मंत्री थे। प्रभु ने रविवार सुबह ही भाजपा की सदस्यता ग्रहण की।

तटीय कोंकण क्षेत्र से आने वाले 61 वर्षीय बैंकर से नेता बने प्रभु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नजरों में चढ़े हुए थे। विद्युत क्षेत्र में बदलाव के लिए बनाए गए सरकारी पैनल 'बिजली, कोयला और नवीकरणीय ऊर्जा विकास संबंधी सलाहकार समूह' के प्रमुख पद पर उन्हें नियुक्त किए जाने से ही यह संकेत मिल रहे थे कि वह मोदी की 'गुड बुक' में हैं।

बिजली क्षेत्र में बदलाव के लिए बनाए गए सरकारी पैनल बिजली, कोयला और नवीकरणीय ऊर्जा विकास संबंधी सलाहकार समूह के प्रमुख पद पर उन्हें नियुक्त किए जाने से ही यह संकेत मिल रहे थे कि वह मोदी की 'गुड बुक' में हैं।

प्रभु को ब्रिस्बेन में होने वाली जी-20 की शिखर बैठक में प्रधानमंत्री की सहायता के लिए मोदी का 'शेरपा' भी नियुक्त किया गया है। महाराष्ट्र की राजनीति में पहले से ही ऐसी खबरें चल रही थीं कि राज्य के विधानसभा चुनाव से पूर्व बीजेपी और शिवसेना के बीच बने गतिरोध के बावजूद मोदी, सुरेश प्रभु को केंद्र में देखना चाहते हैं।

प्रभु कोंकण क्षेत्र की राजापुर लोकसभा सीट से 1996 से 2009 के बीच चार बार सांसद रह चुके हैं। वह 2009 के आम चुनाव में हालांकि हार गए थे। यह वही निर्वाचन क्षेत्र है, जिसका प्रतिनिधित्व कभी जनता पार्टी नेता दिवंगत मधु दंडवते किया करते थे। व्हार्टन इंडिया इकोनोमिक फोरम 2013 में मोदी के महत्पूर्ण संबोधन को रद्द किए जाने के विरोध में प्रभु द्वारा व्हार्टन स्कूल के अपने दौरे को रद्द किए जाने के फैसले की काफी सराहना हुई थी।

1998 से 2004 के बीच वाजपेयी सरकार के कार्यकाल में प्रभु उद्योग मंत्री, पर्यावरण एवं वन मंत्री, उर्वरक एवं रसायन मंत्री, बिजली, भारी उद्योग और लोक उद्यम मंत्री के पद पर रहे थे। बिजली मंत्रालय में कामकाज की प्रक्रिया को सरल बनाने के उनके प्रयासों की सराहना की गई थी और उन्होंने यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया था कि इस महत्वपूर्ण क्षेत्र का चहुंमुखी विकास हो। प्रभु नदियों को जोड़ने के लिए बनाए गए कार्यबल के अध्यक्ष भी थे।

उन्हें विश्व बैंक संसदीय नेटवर्क का सदस्य चुनने के साथ ही दक्षिण एशिया जल सम्मेलन का अध्यक्ष भी नामित किया गया था।

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