सोमवार को हुई ऑल पार्टी मीटिंग
नई दिल्ली:
21 जुलाई से संसद का मॉनसून सत्र शुरु होने वाला है और इससे एक दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ऑल पार्टी मीटिंग बुलाकर सभी पार्टियों से इस सत्र में सहयोग की अपील की है। पीएम ने सहयोगी दलों से भूमि विधेयक बिल को आगे बढ़ाने में मदद करने की भी अपील की है।
लेकिन पीएम के इस आग्रह के बाद विपक्षी दलों ने एकमत से उन चार बीजेपी नेताओं के ख़िलाफ़ हाई-लेवल जांच की मांग की है जो इस स्कैम में फंसे हुए हैं। इसके साथ ही ये साफ हो गया कि पीएम की अपेक्षाओं के विपरीत संसद का मॉनसून सत्र हंगामेदार होने के पूरे आसार हैं।
पढ़ें- सर्वदलीय बैठक में पीएम बोले, लैंड बिल पर आगे बढ़ें
समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव ने भूमि विधेयक संशोधन के संदर्भ में कहा, 'जो इन्होंने संशोधन किया है समाजवादी पार्टी इससे सहमत नहीं है। उस में गवर्नमेंट कुछ पीछे हटेगी तो हो सकता है कि कोई काम बने, लेकिन अभी इन्होंने अनावश्यक ही कई संशोधन कर दिए जिसपर समाजवादी पार्टी सहमत नहीं हो सकती। जब-जब इस तरह की मीटिंग होती है उसमें हमेशा ये कहा जाता है कि हाउस चले और हाउस चलेगा, सब यही कहते हैं। लेकिन व्यवहार में बिल्कुल इसके उलट होता है। इसलिए मुझे नहीं लगता कि सदन में मामला ठीक रहेगा। मौसम अभी से ख़राब लग रहा है।'
कांग्रेस पार्टी ने भी साफ तौर पर कह दिया है कि वे इस सत्र को तब तक चलने नहीं देंगे जब तक कि उन सभी घोटालों और स्कैम की जांच नहीं हो जाती जिनमें बीजेपी के मंत्री शामिल हैं, कांग्रेस तथा अन्य विपक्षी दल ललित मोदी प्रकरण में सुषमा स्वराज, वसुंधरा राजे का नाम जुड़ने के कारण इन्हें हटाये जाने और व्यापमं घोटाले के मद्देनजर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस्तीफ़े की मांग कर रहे हैं।
कोई अल्टीमेटम नहीं लेंगे
लेकिन विपक्षी दलों के तेवर के जवाब में संसदीय कार्यमंत्री वेंकेय्या नायडू ने कहा, 'ये सवाल ही नहीं उठता कि संसद चलाने के मुद्दे हम किसी से कोई अल्टीमेटम लें। कोई भी व्यक्ति संसदीय कार्यवाही में हम पर शर्तें लागू नहीं कर सकता।'
बीजेपी के शीर्षस्थ नेताओं की सोमवार रात एक बैठक हुई जिसमें सरकार ने ये फैसला किया कि वे विपक्ष की हर वार का करारा जवाब देंगे।
सूत्रों के अनुसार पीएम लैंड बिल के नए नियमों को लागू करने के लिए अध्यादेश या लगातार चौथे कार्यकारी आदेश का सहारा ले सकते हैं, लेकिन इन नियमों को स्थायी होने के लिए इसका संसद में पास होना बेहद ज़रुरी है लेकिन विपक्ष ऐसा होने दे इसकी संभावना कम दिखती है। विपक्ष के अनुसार ये नए नियम किसान विरोधी हैं और वे इसे हर हाल में पास होने नहीं देंगे।
लेकिन पीएम के इस आग्रह के बाद विपक्षी दलों ने एकमत से उन चार बीजेपी नेताओं के ख़िलाफ़ हाई-लेवल जांच की मांग की है जो इस स्कैम में फंसे हुए हैं। इसके साथ ही ये साफ हो गया कि पीएम की अपेक्षाओं के विपरीत संसद का मॉनसून सत्र हंगामेदार होने के पूरे आसार हैं।
पढ़ें- सर्वदलीय बैठक में पीएम बोले, लैंड बिल पर आगे बढ़ें
समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव ने भूमि विधेयक संशोधन के संदर्भ में कहा, 'जो इन्होंने संशोधन किया है समाजवादी पार्टी इससे सहमत नहीं है। उस में गवर्नमेंट कुछ पीछे हटेगी तो हो सकता है कि कोई काम बने, लेकिन अभी इन्होंने अनावश्यक ही कई संशोधन कर दिए जिसपर समाजवादी पार्टी सहमत नहीं हो सकती। जब-जब इस तरह की मीटिंग होती है उसमें हमेशा ये कहा जाता है कि हाउस चले और हाउस चलेगा, सब यही कहते हैं। लेकिन व्यवहार में बिल्कुल इसके उलट होता है। इसलिए मुझे नहीं लगता कि सदन में मामला ठीक रहेगा। मौसम अभी से ख़राब लग रहा है।'
कांग्रेस पार्टी ने भी साफ तौर पर कह दिया है कि वे इस सत्र को तब तक चलने नहीं देंगे जब तक कि उन सभी घोटालों और स्कैम की जांच नहीं हो जाती जिनमें बीजेपी के मंत्री शामिल हैं, कांग्रेस तथा अन्य विपक्षी दल ललित मोदी प्रकरण में सुषमा स्वराज, वसुंधरा राजे का नाम जुड़ने के कारण इन्हें हटाये जाने और व्यापमं घोटाले के मद्देनजर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस्तीफ़े की मांग कर रहे हैं।
कोई अल्टीमेटम नहीं लेंगे
लेकिन विपक्षी दलों के तेवर के जवाब में संसदीय कार्यमंत्री वेंकेय्या नायडू ने कहा, 'ये सवाल ही नहीं उठता कि संसद चलाने के मुद्दे हम किसी से कोई अल्टीमेटम लें। कोई भी व्यक्ति संसदीय कार्यवाही में हम पर शर्तें लागू नहीं कर सकता।'
बीजेपी के शीर्षस्थ नेताओं की सोमवार रात एक बैठक हुई जिसमें सरकार ने ये फैसला किया कि वे विपक्ष की हर वार का करारा जवाब देंगे।
सूत्रों के अनुसार पीएम लैंड बिल के नए नियमों को लागू करने के लिए अध्यादेश या लगातार चौथे कार्यकारी आदेश का सहारा ले सकते हैं, लेकिन इन नियमों को स्थायी होने के लिए इसका संसद में पास होना बेहद ज़रुरी है लेकिन विपक्ष ऐसा होने दे इसकी संभावना कम दिखती है। विपक्ष के अनुसार ये नए नियम किसान विरोधी हैं और वे इसे हर हाल में पास होने नहीं देंगे।
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