इसरो (ISRO) के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायण (Nambi Narayanan) मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सीबीआई (CBI) को कहा कि वो इस मामले में जांच पूरी कर कानून के मुताबिक कार्यवाही करे. जब FIR दर्ज हो चुकी है तो कानून अपना काम करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब FIR के बाद सीबीआई अपनी जांच करे और आरोपियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करे, ये जांच और कानूनी कार्यवाही अपनी FIR और जांच के आधार पर हो.जांच जस्टिस डीके जैन कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर न हो, सीबीआई ये जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर न करे. कोर्ट ने कहा कि आरोपियों के पास कानून के मुताबिक उपाय मौजूद हैं जिनका वो प्रयोग कर सकते हैं.
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने सिर्फ डीके जैन कमेटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक न करने के आदेश दिए थे. FIR को सार्वजनिक किया जा सकता है. सीबीआई की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मामले में सीबीआई ने FIR दर्ज कर ली है.इस संबंध में सील कवर में रिपोर्ट दाखिल की है.FIR को सार्वजनिक नहीं किया गया है. गौरतलब है कि पिछली सुनवाई में SC ने केरल के पूर्व पुलिस अफसरों की भूमिका के लिए CBI जांच के आदेश दिए थे. सुप्रीम कोर्ट की कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर यह फैसला किया है.सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पैनल की रिपोर्ट पर पहली नजर में आगे जांच की जरूरत है, अदालत ने कहा था कि CBI को यह तय करना है कि रिपोर्ट के अनुसार प्रारंभिक जांच दर्ज की जाए या नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रिपोर्ट सीबीआई को सौंप दी जाए. आगे वह तय करेंगे कि इस मामले में क्या कदम उठाएंगे.
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SC ने कहा कि CBI को यह तय करना है कि रिपोर्ट के अनुसार प्रारंभिक जांच दर्ज की जाए या नहीं. मीडिया से रिपोर्ट साझा न करने के निर्देश दिए गए थे. जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने सुनवाई की थी. दरअसल नंबी नारायण के मामले में जस्टिस डीके जैन कमेटी ने अपनी रिपोर्ट दाखिल कर दी है. सुप्रीम कोर्ट ने इसी सीलबंद रिपोर्ट पर विचार किया. नंबी नारायण ने अपनी अर्जी में केरल के पूर्व एडीजीपी सिबी मैथ्यू और वरिष्ठ पुलिस अफसर के के जोशुआ और एस विजयन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. 2018 में जासूसी कांड में दोषमुक्त किए गए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन(इसरो) के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायण को बड़ी राहत मिली थी. सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व वैज्ञानिक को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया था. नंबी नारायण को फंसाने के मामले में केरल के पुलिस अफसरों की भूमिका को लेकर न्यायिक कमेटी का गठन किया गया.कमेटी के लिए केंद्र और केरल राज्य सदस्य नियुक्त करेंगे. कमेटी की अध्यक्षता पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस डीके जैन को सौंपी गई है.
इससे पहले नंबी नारायण की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. नंबी नारायण ने अपनी अर्जी में केरल के पूर्व डीजीपी सिबी मैथ्यू और अन्य के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. दरअसल, सिबी मैथ्यू ने ही इस जासूसी कांड की जांच की थी.नंबी नारायण ने केरल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की थी.हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि डीजीपी सिबी मैथ्यू और दो रिटायर्ड पुलिस अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की कोई जरुरत नहीं है. इन अफसरों को सीबीआई ने नंबी नारायण की गिरफ्तारी के लिए जिम्मेदार बताया था. 1998 में सुप्रीम कोर्ट ने जासूसी मामले में मुक्त होने के बाद नंबी नारायण को एक लाख रुपये मुआवजा देने का निर्देश राज्य सरकार को दिया था.बाद में नंबी नारायण ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाया और राज्य सरकार से मुआवजे की मांग की. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मार्च 2001 में नंबी नारायण को दस लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया.
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