विज्ञापन
This Article is From Sep 21, 2020

सुदर्शन टीवी के शो मामले में SC ने पूछा, 'कानून के अनुसार क्‍या सरकार इसमें हस्‍तक्षेप कर सकती है'

जकात फाउंडेशन ने सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप आवेदन दाखिल किया. इसमें कहा गया है कि सुदर्शन टीवी का बिंदास बोल शो इस्लामोफोबिया ग्रस्त है.फाउंडेशन ने कहा है कि समाचार चैनल ने इंटरनेट पर सार्वजनिक रूप से सुलभ दस्तावेजों से चुने हुए तथ्यों को उठाया और अप्रभावी निष्कर्ष निकाले.

सुदर्शन टीवी के शो मामले में SC ने पूछा, 'कानून के अनुसार क्‍या सरकार इसमें हस्‍तक्षेप कर सकती है'
सुदर्शन न्‍यूज के टीवी शो के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई
Quick Reads
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
मामले में अगली सुनवाई 23 सितंबर को होगी
तीन जजों की बेंच कर रही है मामले की सुनवाई
सुदर्शन न्‍यूज के हलफनामे पर SC ने जताया ऐतराज
नई दिल्ली:

सुदर्शन न्‍यूज (Sudarshan News) के शो 'बिंदास बोल' से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पूछा है कि क्‍या कानून के अनुसार सरकार इसमे हस्‍तक्षेप कर सकती है. जस्टिस केएम जोसेफ ने कहा कि आज कोई ऐसा कार्यक्रम है जो आपत्तिजनक नहीं है? कानून के अनुसार सरकार इसमें हस्तक्षेप कर सकती है ? रोजाना लोगों की आलोचना  होती है, निंदा होती है और लोगों की छवि खराब की जाती है? उन्‍होंने सॉलिसिटर जनरल से पूछा क्या केंद्र सरकार ने चार एपिसोड के प्रसारण की अनुमति देने के बाद कार्यक्रम पर नजर रखी? इंग्लैंड में, पूर्व-प्रसारण योजना का कोई प्रावधान नहीं है लेकिन भारत में हमारे पास अन्य क्षेत्राधिकार हैं. हमारे पास पूर्व-प्रकाशन प्रतिबंध के लिए शक्ति है यदि सरकार इसे लागू नहीं करती है.मामले में अगली सुनवाई 23 सितंबर को होगी.

डिजिटल मीडिया फैला रहा है जहर, सबसे पहले उसे नियंत्रित करें: केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने सुदर्शन न्यूज के हलफनामे पर आपत्ति जताई . मामले की सुनवाई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड, जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस केएम जोसेफ की बेंच ने की. जस्टिस चंद्रचूड़ ने सोमवार को कहा कि हमने आपसे कभी नहीं पूछा कि आप NDTV के बारे में क्या सोचते हैं. आप सिर्फ अपने मुंह से कुछ भी नहीं बोल सकते. हमने सवालों के जवाब के साथ आने को कहा था. कोई बिंदु नहीं है कि आप शिकायत करें कि 2008 में क्या हुआ था? आपने कहा है कि वह भारत में चैनलों का सबसे बड़ा निकाय है, और उसके  पास देश भर के सभी क्षेत्रीय चैनल हैं. पूर्व CJI न्यायमूर्ति जेएस खेहर इस संस्था के प्रमुख होंगे. एनबीए सबसे बड़ा निकाय नहीं है और सभी का प्रतिनिधित्व नहीं करता है. जस्टिस चंद्रचूड़ ने सुदर्शन न्यूज से पूछा कि क्या आपको लगता है कि पहले 4 एपिसोड टेलीकास्ट हुए उनमें  आपने प्रोग्राम कोड का पालन किया, क्या आप पहले के एपिसोड की तरह ही शेष एपिसोड जारी रखने का इरादा रखते हैं? उन्‍होंने पूछा, कार्यक्रम में किस पर हमला किया जा रहा है.मुस्लिम समुदाय पर या ज़कात फाउंडेशन पर. उन्‍होंने कहा, 'मैं नहीं जानता कि इसे  कौन देखता है लेकिन एक संस्था के रूप में सुप्रीम कोर्ट केवल मुसलमानों पर हमले के बारे में चिंतित है न कि ज़कात फाउंडेशन पर.' 

'हम सेंसर बोर्ड नहीं है लेकिन...': सुदर्शन टीवी के 'UPSC जिहाद' पर सुप्रीम कोर्ट

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि यह कार्यक्रम जनहित के कुछ मुद्दों से निपटता है. जकात की विदेशी फंडिंग या मुसलमानों के लिए OBC आरक्षण की बात करता है. इसलिए हमें इस पहलू को भी देखना होगा. अब हमें यह देखना चाहिए कि यदि हम निषेधाज्ञा के साथ आगे बढ़ते हैं तो किस प्रकार का निषेधाज्ञा हो? निषेधाज्ञा की प्रकृति क्या होनी चाहिए? क्या यह ब्लैंकेट होना चाहिए? उस मामले में हम एक व्यक्ति को अपने विचार व्यक्त करने से रोक रहे हैं, क्या हम उसे अभिव्यक्ति के सुरक्षात्मक हिस्से के साथ आगे बढ़ने की अनुमति दें और अलग-अलग हिस्से के लिए रोक दें ? हमें इस पहलू पर भी फैसला करना होगा. इससे पहले, प्रसारित किए गए 4 एपिसोड कानून के मुताबिक थे.सुदर्शन न्यूज के वकील 
ने कहा, 'मैं SC से अनुरोध कर रहा हूं कि मुझे सभी 4 एपिसोड को देखने का अवसर दिया जाए और हर मिनट विराम दिया जाए और फिर यदि आप पाते हैं कि हमने उस कानून का उल्लंघन किया है तो हम निर्णय का पालन करेंगे. इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा-हमने वह अवसर दिया. हमने आपको हमारी चिंताओं को समझने और दूर करने का अवसर दिया. आपने मेरे दोनों सवालों का हां और हां में  दिया है. हमें बात समझ में आ गई. सुदर्शन न्यूज के वकील ने कहा कि हस्तक्षेपों ने मेरे मामले के तथ्यों को विकृत कर दिया है. इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि यदि आप सभ्य न्यायशास्त्र की लाइन की जांच करते हैं तो निषेधाज्ञा का कोई मामला नहीं है. वकील ने विवादास्पद उपन्यास के सभी 700 पृष्ठों को जजों को संतुष्ट करने के लिए पढ़ा और कहा कि यह मिसाल है और हम भटकना नहीं चाहते हैं. जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों के वकील ने सुनवाई के दौरान कहा कि कार्यक्रम का विषय यह है कि मुसलमानों की भागीदारी और सफलता एक आतंकी साजिश है. इस पर जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने सवाल उठाया और कहा, लेकिन यह अकबरुद्दीन ओवैसी, अब्दुल रऊफ और इमरान प्रतापगढ़ी के भाषण के संदर्भ में है.वे भी समान रूप से गंभीर हैं, और आपको इसका जवाब भी देना होगा. चैनल के मुताबिक यह मुसलमानों के खिलाफ नहीं है. आतंकी संगठन फंडिंग करते है, यह उनके खिलाफ है.यह समुदाय के खिलाफ नहीं है, उनका कहना है कि ये आतंकवादी संगठनों के खिलाफ है.ओपी इंडिया, इंडिक कलेक्टिव और अपवार्ड फाउंडेशन ने भी SC से सुदर्शन टीवी मामले में हस्तक्षेप की मांग कीऔर SC के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाए.

टीवी मीडिया के साथ 'TRP और सनसनी फैलाने को लेकर' है समस्‍या: सुप्रीम कोर्ट

जकात फाउंडेशन ने सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप आवेदन दाखिल किया. इसमें कहा गया है कि सुदर्शन टीवी का बिंदास बोल शो इस्लामोफोबिया ग्रस्त है.फाउंडेशन ने कहा है कि समाचार चैनल ने इंटरनेट पर सार्वजनिक रूप से सुलभ दस्तावेजों से चुने हुए तथ्यों को उठाया और अप्रभावी निष्कर्ष निकाले, न्यूज चैनल एक विशेष समुदाय के खिलाफ काम करता रहा है. चैनल द्वारा नौकरी का विज्ञापन प्रसारित किया गया था लेकिन इस शर्त के साथ कि मुसलमान वहां आवेदन नहीं कर सकते. फाउंडेशन की ओर से कहा गया कि सुदर्शन टीवी चैनल के संपादक सुरेश चव्हाणके को 2017 में अप्रैल के महीने में लखनऊ हवाई अड्डे पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने और धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के लिए गिरफ्तार किया गया था - चैनल ने फाउंडेशन के खिलाफ अपमानजनक और निंदनीय आरोप लगाए हैं जबकि ये वास्तव में, यह एक धर्मार्थ संगठन है. इसके अलावा, ज़कात फाउंडेशन ने कहा है कि उसे दान के रूप में अब तक 29,95,02,038, (29 करोड़, 95 लाख , 2  हजार 38  रुपये  प्राप्त हुए हैं, जिनमें से, 1,47,76,279 / - (एक करोड़ 47 -सत्तर लाख 76 हजार 2 सौ 79 रुपये) विदेश में स्थित चार स्रोतों से प्राप्त हुए हैं जिन्हें चैनल ने संदर्भित किया है. सुदर्शन न्यूज ने जिन चार स्रोतों पर आरोप लगाए हैं, उनके कुल दान का कुल योग सभी स्रोतों से आवेदक संगठन को प्राप्त कुल दान राशि का 4.93 प्रतिशत है. 

खबरों की खबर: SC ने कहा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए मानक तय हो

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com