नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने सभी होटल मालिकों और शराब के दुकानों के मालिकों की याचिका को ख़ारिज कर दिया जिन्होंने राष्ट्रीय राजमार्गों और स्टेट हाईवे से 500 मीटर तक शराब की दुकानों पर रोक के सुप्रीम कोर्ट के आदेश में बदलाव की मांग की थी. कोर्ट ने कहा हम निजी अर्जियों पर सुनवाई नहीं करेंगे बल्कि सिर्फ केरल , उत्तराखंड, अरूणाचल प्रदेश, अंडमान निकोबार,और चंडीगढ मामले में दाखिल अर्जी पर सुनवाई करेंगे.
सुप्रीम कोर्ट को ये तय करना है कि राष्ट्रीय राजमार्गों और स्टेट हाईवे से 500 मीटर तक शराब की दुकानों पर रोक के अपने आदेश में बदलाव करे या नहीं. तमिलनाडू के क्लब, होटल मालिकों के अलावा कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई थी. कुछ राज्य सरकारों ने भी सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर संशोधन की मांग की है.
पिछली सुनवाई में CJI खेहर ने कहा था कि सोचिए कि किसी व्यक्ति की सडक दुर्घटना में जान चली जाती है तो उसके परिवार पर क्या बीतती है. खास तौर पर मरने वाला व्यक्ति परिवार के लिए रोटी कमाने वाला इकलौता जरिया हो.
एक जनहित याचिका पंजाब और तमिलनाडू के लिए दाखिल की गई थी लेकिन आदेश सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए दिए गए. राज्यों का कहना है कि हर प्रदेश के अलग अलग हालात हैं. अगर पहाडी इलाकों में इस नियम का पालन करेंगे तो 500 मीटर में तो पहाड आ जाएगा, उसी तरह गोवा जैसे समुद्री इलाकों में 500 मीटर में समुद्र आ जाएगा.
ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के इन आदेशों का पालन करना मुश्किल हो जाएगा. दरअसल पिछले साल 15 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने बडा फैसला दिया था कि राष्ट्रीय राजमार्गों और स्टेट हाईवे से 500 मीटर तक शराब की दुकानें नहीं होंगी. हालांकि उसमें यह भी साफ किया गया कि जिनके पास लाइसेंस हैं वो खत्म होने तक या 31 मार्च 2017 तक जो पहले हो, तक इस तरह की दुकानें चल सकेंगी. यानी एक अप्रैल 2017 से हाईवे पर इस तरह की दुकानें नहीं होंगी.
सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर फैसला सुनाया था जिसमें गुहार की गई थी कि उत्पाद कानून में संशोधन करने का निर्देश दिया जाए जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि हाईवे के किनारे शराब की बिक्री न हो. इस पर हर वर्ष सड़क दुर्घटनाओं में करीब डेढ़ लाख लोगों की मौत पर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों के किनारे शराब के ठेके बंद करने का आदेश दे.
सुप्रीम कोर्ट को ये तय करना है कि राष्ट्रीय राजमार्गों और स्टेट हाईवे से 500 मीटर तक शराब की दुकानों पर रोक के अपने आदेश में बदलाव करे या नहीं. तमिलनाडू के क्लब, होटल मालिकों के अलावा कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई थी. कुछ राज्य सरकारों ने भी सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर संशोधन की मांग की है.
पिछली सुनवाई में CJI खेहर ने कहा था कि सोचिए कि किसी व्यक्ति की सडक दुर्घटना में जान चली जाती है तो उसके परिवार पर क्या बीतती है. खास तौर पर मरने वाला व्यक्ति परिवार के लिए रोटी कमाने वाला इकलौता जरिया हो.
एक जनहित याचिका पंजाब और तमिलनाडू के लिए दाखिल की गई थी लेकिन आदेश सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए दिए गए. राज्यों का कहना है कि हर प्रदेश के अलग अलग हालात हैं. अगर पहाडी इलाकों में इस नियम का पालन करेंगे तो 500 मीटर में तो पहाड आ जाएगा, उसी तरह गोवा जैसे समुद्री इलाकों में 500 मीटर में समुद्र आ जाएगा.
ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के इन आदेशों का पालन करना मुश्किल हो जाएगा. दरअसल पिछले साल 15 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने बडा फैसला दिया था कि राष्ट्रीय राजमार्गों और स्टेट हाईवे से 500 मीटर तक शराब की दुकानें नहीं होंगी. हालांकि उसमें यह भी साफ किया गया कि जिनके पास लाइसेंस हैं वो खत्म होने तक या 31 मार्च 2017 तक जो पहले हो, तक इस तरह की दुकानें चल सकेंगी. यानी एक अप्रैल 2017 से हाईवे पर इस तरह की दुकानें नहीं होंगी.
सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर फैसला सुनाया था जिसमें गुहार की गई थी कि उत्पाद कानून में संशोधन करने का निर्देश दिया जाए जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि हाईवे के किनारे शराब की बिक्री न हो. इस पर हर वर्ष सड़क दुर्घटनाओं में करीब डेढ़ लाख लोगों की मौत पर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों के किनारे शराब के ठेके बंद करने का आदेश दे.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं