सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार वकील भेजने पर जस्टिस कर्णन को कड़ी चेतावनी दी है.
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी से बच रहे कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सीएस कर्णन को छह महीने की अपनी जेल की सजा के खिलाफ तत्काल सुनवाई की मांग को लेकर बार-बार अपना वकील भेजने के लिए सोमवार को चेतावनी दी. कोर्ट ने उनके वकील से कहा कि उन्हें भी न्यायालय से बाहर किया जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने न्यायमूर्ति कर्णन के वकील मैथ्यूज जे नेदुमपरा को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि ‘‘बार-बार’’ मामले का उल्लेख करने की आदत बनाने के लिए उन्हें ‘‘बाहर करने’’ के लिए भी कहा जा सकता है.
चीफ जस्टिस जेएस खेहर के नेतृत्व वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा, ‘‘हम आपसे न कह रहे हैं और तब भी आप (वकील) यहां बार-बार आ रहे हैं. आप पांच बार आएं या 20 बार, लेकिन हम आपसे कह रहे हैं कि आप न्यायालय की प्रक्रिया में हस्तक्षेप कर रहे हैं. आप हर दिन न्यायालय की प्रक्रिया में हस्तक्षेप कर रहे हैं.’’ यह पीठ ‘तीन तलाक’ के मुद्दे से संबंधित कई याचिकाओं पर भी सुनवाई कर रही थी.
पीठ ने कहा, ‘‘हम आपसे उदारता बरत रहे हैं. आपको यह समझना चाहिए, हम उदार हो सकते हैं और कठोर भी.’’ पीठ ने यह टिप्पणी तब की जब कर्णन के वकील नेदुमपरा ने तत्काल सुनवाई और सात न्यायाधीशों की उसी पीठ के गठन की मांग की जिसने कर्णन को अदालत की अवमानना का दोषी करार देते हुए गत नौ मई को छह महीने की जेल की सजा सुनाई थी.
इससे पहले भी दिन में नेदुमपरा ने मामले का उल्लेख किया था जिस पर प्रधान न्यायाधीश ने कड़ी टिप्पणी की थी. पीठ ने कहा था, ‘‘हमने आपसे रजिस्ट्री में अपनी याचिका देने को कहा है. रजिस्ट्री इसे आगे भेजेगी तो हम इस पर सुनवाई करेंगे. आप ने बार-बार ऐसा करने की आदत बना ली है. अगर आप कानून की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करेंगे तो हम आपको अदालत कक्ष से बाहर करने के लिए कह सकते हैं.’’ इसी बीच न्यायमूर्ति कर्णन ने उच्चतम न्यायालय द्वारा सुनाई गई छह महीने की सजा के खिलाफ राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य को पत्र भेजे.
इससे पहले 12 मई को भी नेदुमपरा ने मामले का तीन बार उल्लेख किया था.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
सुप्रीम कोर्ट ने न्यायमूर्ति कर्णन के वकील मैथ्यूज जे नेदुमपरा को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि ‘‘बार-बार’’ मामले का उल्लेख करने की आदत बनाने के लिए उन्हें ‘‘बाहर करने’’ के लिए भी कहा जा सकता है.
चीफ जस्टिस जेएस खेहर के नेतृत्व वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा, ‘‘हम आपसे न कह रहे हैं और तब भी आप (वकील) यहां बार-बार आ रहे हैं. आप पांच बार आएं या 20 बार, लेकिन हम आपसे कह रहे हैं कि आप न्यायालय की प्रक्रिया में हस्तक्षेप कर रहे हैं. आप हर दिन न्यायालय की प्रक्रिया में हस्तक्षेप कर रहे हैं.’’ यह पीठ ‘तीन तलाक’ के मुद्दे से संबंधित कई याचिकाओं पर भी सुनवाई कर रही थी.
पीठ ने कहा, ‘‘हम आपसे उदारता बरत रहे हैं. आपको यह समझना चाहिए, हम उदार हो सकते हैं और कठोर भी.’’ पीठ ने यह टिप्पणी तब की जब कर्णन के वकील नेदुमपरा ने तत्काल सुनवाई और सात न्यायाधीशों की उसी पीठ के गठन की मांग की जिसने कर्णन को अदालत की अवमानना का दोषी करार देते हुए गत नौ मई को छह महीने की जेल की सजा सुनाई थी.
इससे पहले भी दिन में नेदुमपरा ने मामले का उल्लेख किया था जिस पर प्रधान न्यायाधीश ने कड़ी टिप्पणी की थी. पीठ ने कहा था, ‘‘हमने आपसे रजिस्ट्री में अपनी याचिका देने को कहा है. रजिस्ट्री इसे आगे भेजेगी तो हम इस पर सुनवाई करेंगे. आप ने बार-बार ऐसा करने की आदत बना ली है. अगर आप कानून की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करेंगे तो हम आपको अदालत कक्ष से बाहर करने के लिए कह सकते हैं.’’ इसी बीच न्यायमूर्ति कर्णन ने उच्चतम न्यायालय द्वारा सुनाई गई छह महीने की सजा के खिलाफ राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य को पत्र भेजे.
इससे पहले 12 मई को भी नेदुमपरा ने मामले का तीन बार उल्लेख किया था.
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