नई दिल्ली:
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आज सुूबह 10.30 बजे आना है. इस मामले में जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच फैसला सुनाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा है. इस मामले में 7 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा था कि उसे शिलान्यास करने पर कोई आपत्ति नहीं है लेकिन सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक कोई निर्माण, तोड़फोड़ या पेड गिराने का काम ना हो, जिसके बाद 10 दिसंबर को पीएम ने नए भवन के निर्माण के लिए शिलान्यास रखा था.
10 बड़ी बातें
- सुप्रीम कोर्ट सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में सुनवाई करने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखा है. 20 हजार करोड के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने पांच नवंबर को अपना फैसला सुरक्षित रखा था. सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि ये प्रोजेक्ट कानून के मुताबिक है या नहीं.
- केंद्र की प्रस्तावित सेंट्रल विस्टा योजना को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी करने के बाद अदालत ने कहा था कि फिलहाल प्रोजेक्ट पर काम नहीं रुकेगा. कोर्ट ने कहा था कि प्राधिकरण को कानून के मुताबिक काम करने से कैसे रोक सकते हैं. अगर अदालत के मामले की सुनवाई के दौरान सरकार प्रोजेक्ट पर काम जारी रखती है तो ये उसके जोखिम और कीमत पर है.
- कोर्ट ने आदेश दिया था कि जबतक उसका फैसला नहीं आ जाता है, तबतक कोई निर्माणकार्य या फिर तोड़फोड़ नहीं किया जाएगा. हालांकि, कोर्ट ने प्रतीकात्मक शिलान्यास की अनुमति दे दी थी, जिसके बाद 10 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन का शिलान्यास किया था.
- सुप्रीम कोर्ट में केंद्र द्वारा विस्टा के पुनर्विकास योजना के बारे में भूमि उपयोग में बदलाव को अधिसूचित करने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर हुई थी. आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा जारी मार्च 2020 की अधिसूचना को रद्द करने के लिए अदालत से आग्रह करते हुए, याचिकाकर्ता का तर्क है कि यह निर्णय अनुच्छेद 21 के तहत एक नागरिक के जीने के अधिकार के विस्तारित संस्करण का उल्लंघन है.
- केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 20 हजार करोड़ रुपये के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पैसे की बर्बादी नहीं है, बल्कि इससे पैसों की बचत होगी. इस प्रोजेक्ट से सालाना करीब एक हजार करोड़ रुपए की बचत होगी, जो फिलहाल 10 इमारतों में चल रहे मंत्रालयों के किराए पर खर्च होते हैं. साथ ही इस प्रोजेक्ट से मंत्रालयों के बीच समन्वय में भी सुधार होगा.
- जस्टिस एएम खान्विलकर की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वर्तमान संसद भवन गंभीर आग और जगह की भारी कमी का सामना कर रहा था. उन्होंने कहा कि प्रोजेक्ट के तहत हेरिटेज बिल्डिंग को संरक्षित किया जाएगा.
- 20 मार्च, 2020 को केंद्र ने संसद, राष्ट्रपति भवन, इंडिया गेट, नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक जैसी संरचनाओं द्वारा चिह्नित लुटियंस दिल्ली के केंद्र में लगभग 86 एकड़ भूमि से संबंधित भूमि उपयोग में बदलाव को अधिसूचित किया. केंद्र की ये योजना 20 हजार करोड़ रुपए की है.
- सेंट्रल विस्टा में संसद भवन, राष्ट्रपति भवन, उत्तर और दक्षिण ब्लॉक की इमारतें, जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों और इंडिया गेट जैसी प्रतिष्ठित इमारतें हैं. केंद्र सरकार एक नया संसद भवन, एक नया आवासीय परिसर बनाकर उसका पुनर्विकास करने का प्रस्ताव कर रही है जिसमें प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति के अलावा कई नए कार्यालय भवन होंगे.
- दिल्ली हाईकोर्ट में राजीव शकधर की एकल पीठ ने 11 फरवरी को आदेश दिया था कि दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को भूमि उपयोग में प्रस्तावित परिवर्तनों को सूचित करने से पहले उच्च न्यायालय का रुख करना चाहिए. आदेश दो याचिकाओं में पारित किया गया, एक राजीव सूरी द्वारा दायर किया गया और दूसरा लेफ्टिनेंट कर्नल अनुज श्रीवास्तव द्वारा. सूरी ने सरकार द्वारा प्रस्तावित परिवर्तनों को इस आधार पर चुनौती दी कि इसमें भूमि उपयोग में बदलाव और जनसंख्या घनत्व के मानक शामिल हैं और इस तरह के बदलाव लाने के लिए डीडीए अपेक्षित शक्ति के साथ निहित नहीं है.
- हालांकि, बाद में डिविजन बेंच ने आदेश पर रोक लगा दी. सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले को बड़ा सार्वजनिक हित देखते हुए अपने पास सुनवाई के लिए रख लिया.