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This Article is From Apr 05, 2021

जासूसी कांड में बरी हुए ISRO के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन मामले में SC अगले हफ्ते करेगा सुनवाई

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहताने कहा कि ये मामला  बहुत जरूरी है, इसलिए इसे कल ही सुना जाए लेकिन CJI एसए बोबडे ने कहा कि वो मानते हैं कि ये अहम मसला है लेकिन कोई जल्दबाजी नहीं है.

जासूसी कांड में बरी हुए ISRO के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन मामले में SC अगले हफ्ते करेगा सुनवाई
इससे पहले, नंबी नारायणन की अपील पर SC ने फैसला सुरक्षित रख लिया था (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणनन (Nambi Narayanan) के मामले पर.सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) अगले हफ्ते सुनवाई करेगा. नंबी नारायणन के मामले में जस्टिस डीके जैन कमेटी ने अपनी रिपोर्ट दाखिल कर दी है. सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता (Tushar Mehta) ने कहा कि ये मामला  बहुत जरूरी है, इसलिए इसे कल ही सुना जाए लेकिन CJI एसए बोबडे ने कहा कि वो मानते हैं कि ये अहम मसला है लेकिन कोई जल्दबाजी नहीं है. वर्ष 2018 में जासूसी कांड में दोषमुक्त किए गए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन को बड़ी राहत मिली थी. SC ने ने पूर्व वैज्ञानिक को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है. नंबी नारायणन को फंसाने के मामले में केरल के पुलिस अफसरों की भूमिका को लेकर न्यायिक कमेटी का गठन किया गया.कमेटी के लिए केंद्र और केरल राज्य सदस्य नियुक्त करेंगे. कमेटी की अध्यक्षता पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस डीके जैन को सौंपी गई है.

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इससे पहले नारायणन की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. उन्‍होंने अपनी अर्जी में केरल के पूर्व डीजीपी सिबी मैथ्यू और अन्य के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी. दरअसल, सिबी मैथ्यू ने ही इस जासूसी कांड की जांच की थी. नंबी नारायणन ने केरल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की थी.

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HC ने अपने आदेश में कहा था कि डीजीपी सिबी मैथ्यू और दो रिटायर्ड पुलिस अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की कोई जरूरत नहीं है. इन अफसरों को सीबीआई ने नंबी नारायणन की गिरफ्तारी के लिए जिम्मेदार बताया था. वे 1998 में सुप्रीम कोर्ट ने जासूसी मामले में मुक्त होने के बाद नंबी नारायणन को एक लाख रुपये मुआवजा देने का निर्देश राज्य सरकार को दिया था. बाद में नंबी नारायणन ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाया और राज्य सरकार से मुआवजे की मांग की. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मार्च 2001 में नंबी नारायणन को 10 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया. 

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