बिहार के पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट सख्त (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
बिहार के पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती अपनाई है. हत्या के इस मामले में छह आरोपियों को फिलहाल जमानत नहीं मिलेगी. सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश देते हुए तीन और अहम आदेश जारी किए हैं.
पहला आदेश है कि सीबीआई तीन महीने के भीतर जांच पूरी करे. दूसरा आदेश है कि सिवान के सेशन जज सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट दाख़िल कर बताए कि शहाबुद्दीन और तेज प्रताप को समारोह में बुके देने वाले फ़ोटो के वक़्त आरोपी मोहम्मद कैफ़ और मोहम्मेद जावेद को क्या भगोड़ा घोषित किया गया था या गैर-ज़मानती वारंट जारी किया गया था या कोई और कार्रवाई की गई थी या नहीं. तीसरा आदेश है कि सीबीआई को स्टेट्स रिपोर्ट को दाख़िल करने को कहा है.
सुप्रीम कोर्ट में बिहार सरकार ने शहाबुद्दीन और तेज प्रताप का बचाव करते हुए कहा- जब आरोपी की फोटो दोनों के साथ आई तब आरोपी के खिलाफ कोई गैर-जमानती वारंट नहीं हुआ था. वहीं तेजप्रताप और शहाबुद्दीन ने कहा है कि वह एक पब्लिक समारोह में आरोपियों से मिले थे और यह सब अचानक था. वैसे भी उस वक्त उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी नहीं हुए थे. सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार के वकील से पूछा कि मामले में किस धारा के तहत चार्जशीट दाखिल हुई तो वे बता नहीं पाए. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा- हम केस को दिल्ली ट्रांसफर कर देंगे. अगली सुनवाई 28 नवंबर को होगी.
बिहार के सिवान में पत्रकार राजदेव हत्या मामले में उनकी पत्नी आशा रंजन द्वारा दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करते हुए ये आदेश दिए. याचिका में केस को दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग की गई है. साथ ही आरोपी को शरण देने के मामले में बिहार के स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव और RJD नेता शहाबुद्दीन पर आरोपी को शरण देने के मामले में FIR दर्ज करने की मांग की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने दोनों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. वहीं सुप्रीम कोर्ट के नोटिस के बाद बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल कर राजदेव हत्याकांड की सुनवाई बिहार से बाहर ट्रांसफर करने का विरोध किया है. बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में शनिवार को पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड मामले में जवाब दाखिल कर दिया है.
बिहार सरकार ने अपने जवाब में कहा है कि इस मामले की सुनवाई बिहार में ही होनी चाहिए. बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को भरोसा दिलाया है कि पीड़ित परिवार की सुरक्षा के सभी इंतजाम किए गए है. इतना ही नहीं बिहार सरकार ने कहा कि सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है और वे सीबीआई को जांच में पूरा सहयोग कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में शहाबुद्दीन और तेज प्रताप यादव को नोटिस जारी कर पूछा था कि क्यों ना उनके खिलाफ आरोपियों को शरण देने का मामला चलाया जाए ?
पहला आदेश है कि सीबीआई तीन महीने के भीतर जांच पूरी करे. दूसरा आदेश है कि सिवान के सेशन जज सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट दाख़िल कर बताए कि शहाबुद्दीन और तेज प्रताप को समारोह में बुके देने वाले फ़ोटो के वक़्त आरोपी मोहम्मद कैफ़ और मोहम्मेद जावेद को क्या भगोड़ा घोषित किया गया था या गैर-ज़मानती वारंट जारी किया गया था या कोई और कार्रवाई की गई थी या नहीं. तीसरा आदेश है कि सीबीआई को स्टेट्स रिपोर्ट को दाख़िल करने को कहा है.
सुप्रीम कोर्ट में बिहार सरकार ने शहाबुद्दीन और तेज प्रताप का बचाव करते हुए कहा- जब आरोपी की फोटो दोनों के साथ आई तब आरोपी के खिलाफ कोई गैर-जमानती वारंट नहीं हुआ था. वहीं तेजप्रताप और शहाबुद्दीन ने कहा है कि वह एक पब्लिक समारोह में आरोपियों से मिले थे और यह सब अचानक था. वैसे भी उस वक्त उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी नहीं हुए थे. सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार के वकील से पूछा कि मामले में किस धारा के तहत चार्जशीट दाखिल हुई तो वे बता नहीं पाए. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा- हम केस को दिल्ली ट्रांसफर कर देंगे. अगली सुनवाई 28 नवंबर को होगी.
बिहार के सिवान में पत्रकार राजदेव हत्या मामले में उनकी पत्नी आशा रंजन द्वारा दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करते हुए ये आदेश दिए. याचिका में केस को दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग की गई है. साथ ही आरोपी को शरण देने के मामले में बिहार के स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव और RJD नेता शहाबुद्दीन पर आरोपी को शरण देने के मामले में FIR दर्ज करने की मांग की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने दोनों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. वहीं सुप्रीम कोर्ट के नोटिस के बाद बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल कर राजदेव हत्याकांड की सुनवाई बिहार से बाहर ट्रांसफर करने का विरोध किया है. बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में शनिवार को पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड मामले में जवाब दाखिल कर दिया है.
बिहार सरकार ने अपने जवाब में कहा है कि इस मामले की सुनवाई बिहार में ही होनी चाहिए. बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को भरोसा दिलाया है कि पीड़ित परिवार की सुरक्षा के सभी इंतजाम किए गए है. इतना ही नहीं बिहार सरकार ने कहा कि सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है और वे सीबीआई को जांच में पूरा सहयोग कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में शहाबुद्दीन और तेज प्रताप यादव को नोटिस जारी कर पूछा था कि क्यों ना उनके खिलाफ आरोपियों को शरण देने का मामला चलाया जाए ?
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