
प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि देश में चुनाव सुधारों को लेकर लंबे वक्त से इंतजार है, लेकिन सब ऐसे ही चल रहा है। ये संसद के अधिकार का मामला है और संसद को इसे लेकर कानून बनाना चाहिए। हालांकि हम समझ सकते हैं कि वो कानून नहीं बनाएंगे।
कोर्ट ने कहा कि हम इस मामले में दखल नहीं दे सकते। कोर्ट ने कहा कि ये संभव नहीं है कि देश भर में चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार चुनाव के लिए हलफनामे में दिए ब्योरे की पहले की वेरिफिकेशन की जा सके। देशभर में हजारों उम्मीदवार होते हैं, तो चुनाव आयोग क्या यही काम करता रहे।
वैसे भी ऐसा कोई कानून नहीं है, जिसके मुताबिक हलफनामे की सूचना गलत पाई जाए तो सदस्यता रद्द हो। ऐसे में इस याचिका को खारिज किया जाता है। सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका में कहा गया था कि चुनावों में उम्मीदवारों के हलफनामे का पहले ही वेरिफिकेशन किया जाना चाहिए।
इसके साथ ही मनी पावर पर भी रोक लगे। याचिकाकर्ता का कहना था कि संसद ने 2002 के बाद चुनाव सुधार को लेकर कोई कानून पास नहीं किया है।
कोर्ट ने कहा कि हम इस मामले में दखल नहीं दे सकते। कोर्ट ने कहा कि ये संभव नहीं है कि देश भर में चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार चुनाव के लिए हलफनामे में दिए ब्योरे की पहले की वेरिफिकेशन की जा सके। देशभर में हजारों उम्मीदवार होते हैं, तो चुनाव आयोग क्या यही काम करता रहे।
वैसे भी ऐसा कोई कानून नहीं है, जिसके मुताबिक हलफनामे की सूचना गलत पाई जाए तो सदस्यता रद्द हो। ऐसे में इस याचिका को खारिज किया जाता है। सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका में कहा गया था कि चुनावों में उम्मीदवारों के हलफनामे का पहले ही वेरिफिकेशन किया जाना चाहिए।
इसके साथ ही मनी पावर पर भी रोक लगे। याचिकाकर्ता का कहना था कि संसद ने 2002 के बाद चुनाव सुधार को लेकर कोई कानून पास नहीं किया है।
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