नई दिल्ली:
उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या में विवादित ढांचा गिराए जाने की घटना के सिलसिले में आपराधिक साजिश के आरोपों से भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी और अन्य आरोपियों को मुक्त करने के उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील दाखिल करने में विलंब पर केन्द्रीय जांच ब्यूरो से मंगलवार को स्पष्टीकरण मांगा।
न्यायमूर्ति एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने अपील दाखिल करने में 167 दिन के विलंब के बारे में केन्द्र सरकार के वरिष्ठ विधि अधिकारी को दो सप्ताह के भीतर इस संबंध में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। न्यायालय ने इस तथ्य का संज्ञान लिया कि विधि अधिकारी की वजह से अपील दायर करने में 167 दिन का विलंब हुआ।
इससे पहले, केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने न्यायालय के आदेश पर अमल करते हुए अपील दायर करने में हुए विलंब से संबंधित विवरण आज पेश किया। इसमे जांच एजेन्सी ने कहा है कि उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील का मसौदा तैयार करने की प्रक्रिया अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल के पास और फिर मंजूरी और राय के लिए सॉलिसीटर जनरल के पास लंबित था।
न्यायाधीशों ने कहा, ‘‘चूंकि सालिसीटर जनरल के कारण यह विलंब हुआ है, इसलिए संबंधित व्यक्ति का हलफनामा इस विलंब को बेहतर तरीके से समझने में मददगार होगा।’’ न्यायालय ने केन्द्रीय जांच ब्यूरो को दो सप्ताह का वक्त देते हुए कहा, इस बारे में हलफनामा दाखिल करना आपके ही हित में होगा। लेकिन न्यायालय ने अपने आदेश में इस बात का जिक्र नहीं किया कि कौन सा विधि अधिकारी यह हलफनामा दाखिल करेगा। न्यायालय ने कहा कि यह वरिष्ठ विधि अधिकारी का होना चाहिए।
न्यायमूर्ति एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने अपील दाखिल करने में 167 दिन के विलंब के बारे में केन्द्र सरकार के वरिष्ठ विधि अधिकारी को दो सप्ताह के भीतर इस संबंध में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। न्यायालय ने इस तथ्य का संज्ञान लिया कि विधि अधिकारी की वजह से अपील दायर करने में 167 दिन का विलंब हुआ।
इससे पहले, केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने न्यायालय के आदेश पर अमल करते हुए अपील दायर करने में हुए विलंब से संबंधित विवरण आज पेश किया। इसमे जांच एजेन्सी ने कहा है कि उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील का मसौदा तैयार करने की प्रक्रिया अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल के पास और फिर मंजूरी और राय के लिए सॉलिसीटर जनरल के पास लंबित था।
न्यायाधीशों ने कहा, ‘‘चूंकि सालिसीटर जनरल के कारण यह विलंब हुआ है, इसलिए संबंधित व्यक्ति का हलफनामा इस विलंब को बेहतर तरीके से समझने में मददगार होगा।’’ न्यायालय ने केन्द्रीय जांच ब्यूरो को दो सप्ताह का वक्त देते हुए कहा, इस बारे में हलफनामा दाखिल करना आपके ही हित में होगा। लेकिन न्यायालय ने अपने आदेश में इस बात का जिक्र नहीं किया कि कौन सा विधि अधिकारी यह हलफनामा दाखिल करेगा। न्यायालय ने कहा कि यह वरिष्ठ विधि अधिकारी का होना चाहिए।
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