
नई दिल्ली:
हरियाणा में सूखे पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जहां एक तरफ हरियाणा सरकार को खूब फटकारा वहीं, केंद्र पर भी बड़े सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने केंद्र से कहा कि क्या ये ही तरीका है कि सूखा पड़े और कोई कोर्ट आए और कोर्ट सूखा घोषित करने के आदेश जारी करे।
क्या केंद्र ने गुजरात, हरियाणा और बिहार को सूखे संबंधी कोई एडवाइजरी जारी की
कोर्ट ने कहा कि क्या केंद्र ये कहना चाहता है कि सूखा घोषित करने का काम राज्य सरकार का है और केंद्र इसमें दखल नहीं देना चाहता। क्या केंद्र ने गुजरात, हरियाणा और बिहार को सूखे संबंधी कोई एडवाइजरी जारी की। हम यहां साफ कर रहे हैं कि ये मामला एक जनहित याचिका पर सुनवाई का है जिसे विरोधी तरीके से नहीं लेना चाहिए। ना ही हम ये कह रहे हैं कि केंद्र के पास सारी शक्तियां हैं कि वो कुछ भी कर सकती है।
मदद पहुंचाने का जिम्मा राज्यों का है : केंद्र
कोर्ट ये जानना चाहता है कि जब कहीं सूखा पड़ता है तो वहां के लोगों को मदद पहुंचाने का क्या तरीका है। सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी उस वक्त की जब केंद्र ने कहा कि केंद्र का काम सूखा जैसी स्थिति में राज्यों को फंड समेत अन्य मदद देना है। लेकिन सूखा घोषित करना और लोगों को मदद पहुंचाने का जिम्मा राज्यों का है। केंद्र सिर्फ एडवाइजरी जारी कर सकता है या कुछ हद तक निगरानी कर सकता है। लेकिन कोई राज्य सूखा घोषित ना करे तो केंद्र इसमें क्या कर सकता है। लिहाजा सुप्रीम कोर्ट इस मामले में कोई आदेश जारी करे।
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा को फटकार लगाई थी और कहा था कि क्या ये गंभीरता है जो आप इस मुद्दे पर दिखा रहे हैं। हम बात कर रहे हैं उन लोगों की जो सूखे की वजह जान गवां रहे हैं। हम हरियाणा में पिकनिक या रोडवेज में सवारी की बात नहीं कर रहे हैं। मंगलवार को हरियाणा सरकार की तरफ से नया हलफ़नामा दाखिल किया गया। अब वकील कह रहे हैं कि नया हलफनामा तैयार हो रहा है।
कोर्ट ने नया हलफनामा लेने से इनकार किया
सूखे के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार को फटकार फिर फटकार लगाई है। कोर्ट ने नया हलफनामा लेने से इनकार किया। कोर्ट ने कहा कि ये कोई शो नहीं चल रहा है। क्या सरकार की ये गंभीरता है। क्या हम बार बार आपके आंकड़ों की जांच करते रहें। हम बार बार हलफनामा स्वीकार नहीं करेंगे। ये कोई मजाक नहीं है। पहले आपने 2013-14 का आंकड़ा दिया, अब 2014- 2015 का दे रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि पिछली सुनवाई में हरियाणा की तरफ से आधा-अधूरा हलफनामा दिया गया था जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई थी।
क्या केंद्र ने गुजरात, हरियाणा और बिहार को सूखे संबंधी कोई एडवाइजरी जारी की
कोर्ट ने कहा कि क्या केंद्र ये कहना चाहता है कि सूखा घोषित करने का काम राज्य सरकार का है और केंद्र इसमें दखल नहीं देना चाहता। क्या केंद्र ने गुजरात, हरियाणा और बिहार को सूखे संबंधी कोई एडवाइजरी जारी की। हम यहां साफ कर रहे हैं कि ये मामला एक जनहित याचिका पर सुनवाई का है जिसे विरोधी तरीके से नहीं लेना चाहिए। ना ही हम ये कह रहे हैं कि केंद्र के पास सारी शक्तियां हैं कि वो कुछ भी कर सकती है।
मदद पहुंचाने का जिम्मा राज्यों का है : केंद्र
कोर्ट ये जानना चाहता है कि जब कहीं सूखा पड़ता है तो वहां के लोगों को मदद पहुंचाने का क्या तरीका है। सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी उस वक्त की जब केंद्र ने कहा कि केंद्र का काम सूखा जैसी स्थिति में राज्यों को फंड समेत अन्य मदद देना है। लेकिन सूखा घोषित करना और लोगों को मदद पहुंचाने का जिम्मा राज्यों का है। केंद्र सिर्फ एडवाइजरी जारी कर सकता है या कुछ हद तक निगरानी कर सकता है। लेकिन कोई राज्य सूखा घोषित ना करे तो केंद्र इसमें क्या कर सकता है। लिहाजा सुप्रीम कोर्ट इस मामले में कोई आदेश जारी करे।
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा को फटकार लगाई थी और कहा था कि क्या ये गंभीरता है जो आप इस मुद्दे पर दिखा रहे हैं। हम बात कर रहे हैं उन लोगों की जो सूखे की वजह जान गवां रहे हैं। हम हरियाणा में पिकनिक या रोडवेज में सवारी की बात नहीं कर रहे हैं। मंगलवार को हरियाणा सरकार की तरफ से नया हलफ़नामा दाखिल किया गया। अब वकील कह रहे हैं कि नया हलफनामा तैयार हो रहा है।
कोर्ट ने नया हलफनामा लेने से इनकार किया
सूखे के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार को फटकार फिर फटकार लगाई है। कोर्ट ने नया हलफनामा लेने से इनकार किया। कोर्ट ने कहा कि ये कोई शो नहीं चल रहा है। क्या सरकार की ये गंभीरता है। क्या हम बार बार आपके आंकड़ों की जांच करते रहें। हम बार बार हलफनामा स्वीकार नहीं करेंगे। ये कोई मजाक नहीं है। पहले आपने 2013-14 का आंकड़ा दिया, अब 2014- 2015 का दे रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि पिछली सुनवाई में हरियाणा की तरफ से आधा-अधूरा हलफनामा दिया गया था जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई थी।
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