सुप्रीम कोर्ट ने 1993 के दिल्ली बम धमाकों के दोषी देविंदर पाल सिंह की फांसी की सजा पर अगले आदेश तक के लिए रोक लगा दी है और उसके स्वास्थ्य के बारे में मेडिकल रिपोर्ट की मांग की है। मामले की अगली सुनवाई 19 फरवरी को होगी।
भुल्लर की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने के लिए याचिका दायर कर रखी थी, जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों एक फैसले में कहा था कि दया याचिकाओं पर लंबे समय तक फैसला न लेने और दोषियों की मानसिक स्थिति ठीक न होने की स्थिति में फांसी की सजा को उम्रकैद में बदला जा सकता है।
प्रधान न्यायमूर्ति पी सदाशिवम की अध्यक्षता वाली चार न्यायाधीशों की एक पीठ ने भुल्लर की पत्नी नवनीत कौर द्वारा दाखिल सुधारात्मक याचिका पर केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किए। पीठ में न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा, न्यायमूर्ति एचएल दत्तू और न्यायमूर्ति जेएस मुखोपाध्याय भी शामिल हैं।
भुल्लर कथित तौर पर मानसिक बीमारी से पीड़ित है। उसका इलाज इन्स्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर एंड एलायड साइंसेज (आईएचबीएएस) में चल रहा है। पीठ ने आईएचबीएएस को उसकी हालत के बारे में एक सप्ताह के अंदर मेडिकल रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।
पीठ ने कहा, हम विचार करेंगे कि क्या (क्षमा याचिका पर फैसले में विलंब के आधार पर मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने के बारे में) हमारा फैसला इस मामले में लागू हो सकता है या नहीं। हम उसकी (भुल्लर की) वर्तमान हालत के बारे में भी जानना चाहते हैं। चार जजों की इस पीठ ने कहा, हम आईएचबीएएस को देविंदर पाल सिंह भुल्लर की हालत के बारे में एक सप्ताह के अंदर रिपोर्ट भेजने का आदेश देते हैं।
(इनपुट भाषा से भी)
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