सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
कर्नाटक में बीजेपी नेता की 26 साल की बेटी की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने युवती से कहा कि वह जहां जाना चाहती है जा सकती है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक पुलिस को युवती को सुरक्षा मुहैया कराने का निर्देश भी दिया है. सुप्रीम कोर्ट के समक्ष युवती ने कहा कि वह पढ़ाई और अपना काम जारी रखना चाहती है. कोर्ट में मौजूद उसके परिजनों ने भरोसा दिलाया कि वह युवती को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे. साथ ही युवती के शिक्षण संबंधी कागजात भी वापस करने का भरोसा दिया. इस तरह से सुप्रीम कोर्ट ने याचिका का निपटारा कर दिया.
वहीं युवती की ओर से इंदिरा जयसिंह ने कहा कि उन्होंने तलाक के लिए कानूनी प्रक्रिया शुरु कर दी है. बता दें कि कर्नाटक में बीजेपी नेता की 26 साल की बेटी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की.
हादिया के बाद कर्नाटक की युवती पहुंची सुप्रीम कोर्ट, हिंदू मैरिज एक्ट को दी चुनौती
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने शादी में दखल देने से इंकार करते हुए कहा था कि शादी को रद्द करने के लिए सिविल कोर्ट जाए. सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस को युवती को सुरक्षा महैया कराने के निर्देश दिए थे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो जनहित याचिका में शादी को शून्य करार नहीं दे सकता. कोर्ट ने हिंदू मैरिज एक्ट के प्रावधान को स्पष्ट करने से भी इंकार किया.सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक्ट की धारा 12(1)सी में साफ लिखा है कि अगर अभिभावकों द्वारा शादी के लिए धोखे से या जबरन सहमति ली गई तो शादी को शून्य करार दिया जा सकता है. इसका साफ मतलब है कि सहमति जरूरी है.
सुप्रीम कोर्ट युवती की ओर से वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि कानून में ये स्पष्ट नहीं है. बिना उसकी मर्जी के घरवालों के शादी कराने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट से सुरक्षा मुहैया कराने की गुहार लगाई थी.
हिंदू मैरिज एक्ट के प्रावधान को भी दी थी चुनौती
याचिका में युवती ने कहा था कि वह इंजीनियर है और दूसरी जाति के युवक से शादी करना चाहती थी लेकिन घरवालों ने बिना उसकी मर्जी के जबरन दूसरे युवक से उसकी शादी करा दी. वो घर से भागकर दिल्ली आई है. उसने सुप्रीम कोर्ट से सुरक्षा दिलाने के अलावा हिंदू मैरिज एक्ट के प्रावधान को चुनौती दी है जिसमें शादी के लिए मर्जी का जिक्र नहीं किया गया है. याचिका में कहा गया है कि ये प्रावधान संविधान के दिए अधिकार के विपरीत है.
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वहीं युवती की ओर से इंदिरा जयसिंह ने कहा कि उन्होंने तलाक के लिए कानूनी प्रक्रिया शुरु कर दी है. बता दें कि कर्नाटक में बीजेपी नेता की 26 साल की बेटी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की.
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पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने शादी में दखल देने से इंकार करते हुए कहा था कि शादी को रद्द करने के लिए सिविल कोर्ट जाए. सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस को युवती को सुरक्षा महैया कराने के निर्देश दिए थे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो जनहित याचिका में शादी को शून्य करार नहीं दे सकता. कोर्ट ने हिंदू मैरिज एक्ट के प्रावधान को स्पष्ट करने से भी इंकार किया.सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक्ट की धारा 12(1)सी में साफ लिखा है कि अगर अभिभावकों द्वारा शादी के लिए धोखे से या जबरन सहमति ली गई तो शादी को शून्य करार दिया जा सकता है. इसका साफ मतलब है कि सहमति जरूरी है.
सुप्रीम कोर्ट युवती की ओर से वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि कानून में ये स्पष्ट नहीं है. बिना उसकी मर्जी के घरवालों के शादी कराने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट से सुरक्षा मुहैया कराने की गुहार लगाई थी.
हिंदू मैरिज एक्ट के प्रावधान को भी दी थी चुनौती
याचिका में युवती ने कहा था कि वह इंजीनियर है और दूसरी जाति के युवक से शादी करना चाहती थी लेकिन घरवालों ने बिना उसकी मर्जी के जबरन दूसरे युवक से उसकी शादी करा दी. वो घर से भागकर दिल्ली आई है. उसने सुप्रीम कोर्ट से सुरक्षा दिलाने के अलावा हिंदू मैरिज एक्ट के प्रावधान को चुनौती दी है जिसमें शादी के लिए मर्जी का जिक्र नहीं किया गया है. याचिका में कहा गया है कि ये प्रावधान संविधान के दिए अधिकार के विपरीत है.
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