प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को टिप्पणी करते हुए कहा कि होटल, मॉल, मल्टीप्लेक्स, रेस्तरां में लोग लुत्फ उठाने जाते हैं, सिर्फ पानी ही पीने नहीं जाते. वहां कीमत सामान के मुताबिक नहीं माहौल के मुताबिक होती है. उपभोक्ता वहां के स्तर के मुताबिक सामान की कीमत अदा करते हैं. ऐसे में सिर्फ पानी की बोतल पर MRP की पाबन्दी का क्या मतलब रह जाता है? ऐसे में उन्हें MRP से ज्यादा कीमत लेने का अधिकार होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी केंद्र सरकार के उस हलफनामे को देखने के बाद की, जिसमें कहा गया है कि होटल मालिकों को MRP से ज्यादा रकम मिनरल वाटर के लिए लेने का अधिकार नहीं है. अगर कोई ऐसा करता है तो उस पर सरकार सजा और जुर्माना लगाएगी.
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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को ये भी कहा कि मोल का मामला सिर्फ पानी तक ही क्यों रहे इस दायरे में पैकेटबंद खाद्य पदार्थ मसलन, चिप्स और बिस्किट स्नैक्स वगैरह भी आ सकते हैं. मंगलवार को जस्टिस रोहिंगटन नरीमन की बेंच ने हालांकि कोई आदेश जारी नहीं किया. दरअसल केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा है कि अब रेस्टोरेंट, होटल और मल्टीप्लेक्सों में मिनरल वॉटर की बोतल पर छपी कीमत से ज्यादा रकम वसूलने पर मैनेजमेंट प्रशासन को जेल और जुर्माने की सजा हो सकती है. सरकार का कहना है कि छपी कीमत से ज्यादा पैसे वसूल करना उपभोक्ता के अधिकारों का हनन है, यहां तक कि ये टैक्स चोरी को बढ़ावा देता है. सरकार ने कहा कि बोतलों पर छपी कीमत से ज्यादा पैसे वसूलने के चलन से सरकार को भी सर्विस टैक्स और एक्साइज ड्यूटी में नुकसान झेलना पड़ता है.
VIDEO-NGT में दोषी पाया गया आर्ट ऑफ़ लिविंग सुप्रीम कोर्ट जाएगा
दरअसल फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन्स ऑफ इंडिया ने एक याचिका दाखिल की थी, जिसके जवाब में उपभोक्ता मामले मंत्रालय ने कहा है कि प्री-पैक्ड या प्री-पैकेज्ड प्रॉडक्ट्स पर छपी कीमत से ज्यादा पैसे वसूलना लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट के तहत अपराध है. लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट की धारा-36 में कहा गया है कि यदि किसी व्यक्ति को प्री-पैकेज्ड प्रॉडक्ट पर छपी हुई कीमत से ज्यादा की कीमत पर बेचते, बांटते या डिलीवर करते पाया गया, तो उसके इस पहले अपराध के लिए उसपर 25,000 का जुर्माना लगेगा. अगर उसने दोबारा ये अपराध किया तो उसे 50,000 के जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है. लेकिन अगर उसने ऐसा करना जारी रखा तो उसे 1 लाख का जुर्माना या एक साल जेल या दोनों हो सकता है.
सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर केंद्र सरकार के उपभोक्ता कल्याण मंत्रालय ने कहा है कि होटल रेस्तरां, मॉल या मल्टीप्लेक्स में मिनरल वाटर यानी पानी की सीलबन्द बोतल अधिकतम खुदरा मूल्य यानी MRP पर बेचने की पाबन्दी है. इसे न मानने वाले पर नकद और कैद दोनों तरह की सज़ा के हकदार होंगे. बता दें कि दिल्ली हाइकोर्ट ने होटल रेस्टोरेंट मॉल और मल्टीप्लेक्स में MRP पर ही मिनरल वॉटर बेचने का फैसला दिया था. फेडरेशन ने उसी आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.
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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को ये भी कहा कि मोल का मामला सिर्फ पानी तक ही क्यों रहे इस दायरे में पैकेटबंद खाद्य पदार्थ मसलन, चिप्स और बिस्किट स्नैक्स वगैरह भी आ सकते हैं. मंगलवार को जस्टिस रोहिंगटन नरीमन की बेंच ने हालांकि कोई आदेश जारी नहीं किया. दरअसल केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा है कि अब रेस्टोरेंट, होटल और मल्टीप्लेक्सों में मिनरल वॉटर की बोतल पर छपी कीमत से ज्यादा रकम वसूलने पर मैनेजमेंट प्रशासन को जेल और जुर्माने की सजा हो सकती है. सरकार का कहना है कि छपी कीमत से ज्यादा पैसे वसूल करना उपभोक्ता के अधिकारों का हनन है, यहां तक कि ये टैक्स चोरी को बढ़ावा देता है. सरकार ने कहा कि बोतलों पर छपी कीमत से ज्यादा पैसे वसूलने के चलन से सरकार को भी सर्विस टैक्स और एक्साइज ड्यूटी में नुकसान झेलना पड़ता है.
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दरअसल फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन्स ऑफ इंडिया ने एक याचिका दाखिल की थी, जिसके जवाब में उपभोक्ता मामले मंत्रालय ने कहा है कि प्री-पैक्ड या प्री-पैकेज्ड प्रॉडक्ट्स पर छपी कीमत से ज्यादा पैसे वसूलना लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट के तहत अपराध है. लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट की धारा-36 में कहा गया है कि यदि किसी व्यक्ति को प्री-पैकेज्ड प्रॉडक्ट पर छपी हुई कीमत से ज्यादा की कीमत पर बेचते, बांटते या डिलीवर करते पाया गया, तो उसके इस पहले अपराध के लिए उसपर 25,000 का जुर्माना लगेगा. अगर उसने दोबारा ये अपराध किया तो उसे 50,000 के जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है. लेकिन अगर उसने ऐसा करना जारी रखा तो उसे 1 लाख का जुर्माना या एक साल जेल या दोनों हो सकता है.
सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर केंद्र सरकार के उपभोक्ता कल्याण मंत्रालय ने कहा है कि होटल रेस्तरां, मॉल या मल्टीप्लेक्स में मिनरल वाटर यानी पानी की सीलबन्द बोतल अधिकतम खुदरा मूल्य यानी MRP पर बेचने की पाबन्दी है. इसे न मानने वाले पर नकद और कैद दोनों तरह की सज़ा के हकदार होंगे. बता दें कि दिल्ली हाइकोर्ट ने होटल रेस्टोरेंट मॉल और मल्टीप्लेक्स में MRP पर ही मिनरल वॉटर बेचने का फैसला दिया था. फेडरेशन ने उसी आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.
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