प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
मोबाइल टावरों के रेडिएशन पर सख्त रुख अपनाते हुए सुप्रीम कोर्ट में CJI ठाकुर ने कहा कि आम लोगों के पास ऐसा यंत्र होना चाहिए, जो पता लगा सके कि रेडिएशन का स्तर क्या है? कहा जाता है कि मोबाइल टावरों से निकलने वाले रेडिएशन से पक्षी गायब हो रहे हैं. या कोई सिस्टम होना चाहिए, जिससे लोगों को रेडिएशन का पता चले.
रेडिएशन को लेकर लोगों के मन में जो डर है, वह दूर होना चाहिए. विदेशों की तुलना में देश में सरकार के रेडिएशन को लेकर क्या स्टैंडर्ड है? क्या मोबाइल टावर रेडिएशन को लेकर नियमों का उल्लंघन हुआ है, क्या एक्शन लिया गया?
इस पर केंद्र 17 अक्तूबर तक जवाब दाखिल करें.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को कुछ सवालों के जवाब देने को कहा कि क्या कभी मोबाइल टावर की रेडिएशन को लेकर कोई स्टडी की गई कि इसका लोगों और पक्षियों पर क्या असर पड़ता है? क्या सरकार ने रेडिएशन की कोई लिमिट तय की है?
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट मोबाइल टावरों से होने वाली रेडिएशन को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है. याचिकाकर्ता की ओर से प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि संसदीय दल ने कहा था कि जिन जगहों पर जनसंख्या ज्यादा है, वहां से टावरों को हटाया जाए, लेकिन केंद्र ने कुछ नहीं किया.
रेडिएशन को लेकर लोगों के मन में जो डर है, वह दूर होना चाहिए. विदेशों की तुलना में देश में सरकार के रेडिएशन को लेकर क्या स्टैंडर्ड है? क्या मोबाइल टावर रेडिएशन को लेकर नियमों का उल्लंघन हुआ है, क्या एक्शन लिया गया?
इस पर केंद्र 17 अक्तूबर तक जवाब दाखिल करें.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को कुछ सवालों के जवाब देने को कहा कि क्या कभी मोबाइल टावर की रेडिएशन को लेकर कोई स्टडी की गई कि इसका लोगों और पक्षियों पर क्या असर पड़ता है? क्या सरकार ने रेडिएशन की कोई लिमिट तय की है?
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट मोबाइल टावरों से होने वाली रेडिएशन को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है. याचिकाकर्ता की ओर से प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि संसदीय दल ने कहा था कि जिन जगहों पर जनसंख्या ज्यादा है, वहां से टावरों को हटाया जाए, लेकिन केंद्र ने कुछ नहीं किया.
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