केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा- जजों की नियुक्ति की कोई फाइल सरकार के पास नहीं

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा- जजों की नियुक्ति की कोई फाइल सरकार के पास नहीं

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति के मामले पर सुनवाई हुई. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि नए जजों की नियुक्ति की कोई फाइल सरकार के पास नहीं है. 77 सिफारिशों में से 34 जजों की नियुक्तियां कर दी गई हैं 44 सिफारिशों को दोबारा देखने के लिए कोलेजियम को भेजा गया है.

चीफ जस्टिस ठाकुर ने कहा कि वह केंद्र की भेजी फाइलों को देखेंगे. 15 नवंबर को कोलेजियम की मीटिंग हो रही है और जजों की नियुक्तियों के लिए MOP को भी फाइनल किया जाएगा. इस मामले में अगली सुनवाई 18 नवंबर को होगी.

गौरतलब है कि इस मामले को लेकर केंद्र और सुप्रीम कोर्ट आमने सामने हैं और पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि प्रशासनिक उदासीनता इस संस्थान को तबाह कर रही है. आज हालात ये हैं कि कोर्ट को ताला लगाना पड़ा है, कर्नाटक हाईकोर्ट में पूरा ग्राउंड फ्लोर बंद है. क्यों ना पूरे संस्थान को ताला लगा दिया जाए और लोगों को न्याय देना बंद कर दिया जाए.

चीफ जस्टिस ने कहा था कि केंद्र सरकार इस मुद्दे को ईगो का मुद्दा न बनाए. हम नहीं चाहते कि हालात ऐसे हों कि एक संस्थान दूसरे संस्थान के आमने-सामने हों. न्यायपालिका को बचाने की कोशिश होनी चाहिए. हम बड़े सब्र से काम कर रहे हैं. केंद्र सरकार बताए कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के जजों की सूची का क्या हुआ.

सरकार 9 महीने से इस सूची पर क्यों बैठी है? अगर सरकार को इन नामों पर कोई दिक्कत है तो हमें भेजे, फिर से विचार करेंगे जबकि केंद्र सरकार की ओर से AG मुकुल रोहतगी ने कहा था. हाईकोर्ट के जजों की सूची में कई नाम हैं जो सही नहीं हैं. सरकार MOP भी तैयार कर रही है.

गौरतलब है कि कोलेजियम ने फरवरी में हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए 75 लोगों की लिस्ट भेजी थी, लेकिन केंद्र ने अब तक इस पर कुछ नहीं किया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हम ऐसे हालात नहीं होने दे सकते, जहां कोर्ट के बंद होने की नौबत आ जाए.

सरकार बताए कि लिस्ट वाली फाइल कहां हैं...? आपको कुछ नामों पर दिक्कत है तो वापस भेजिए, कोलेजियम फिर से देखेगा.  सरकार की कुछ तो जवाबदेही होनी चाहिए. गौरतलब है कि फरवरी में हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के ट्रांसफर की लिस्ट भेजी गई, लेकिन सरकार ने कुछ भी नहीं किया. दरअसल सुप्रीम कोर्ट उस जनहित याचिका की सुनवाई कर रहा है, जिसमें अदालतों में लंबित मामलों को लेकर कदम उठाने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि लॉ कमीशन की उस रिपोर्ट को लागू किया जाए, जिसमें जजों की संख्या बढ़ाने को कहा गया था.


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