जम्मू-कश्मीर में हिन्दुओं को सरकारी योजनाओं के लाभ का मुद्दा
नई दिल्ली:
जम्मू-कश्मीर में अल्पसंख्यक हिंदुओं को भी प्रधानमंत्री योजनाओं और सरकारी योजनाओं के तहत सुविधाएं देने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर सरकार के हलफनामे पर नाराजगी जताई. कोर्ट ने कहा कि ये हलफनामा क्या कोर्ट का मजाक उड़ाने के लिए है.मीटिंग ना होने के पीछे अमरनाथ यात्रा और कानून व्यवस्था का हवाला विनाशकारी है. इसके बाद सरकार ने हलफनामा वापस लिया.
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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को तीन महीने का वक्त दिया और कहा कि रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल की जाए. केंद्र और राज्य की मीटिंग ना होने पर सुप्रीम कोर्ट नाराज है. पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि इस मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक विभाग के सचिव और जम्मू-कश्मीर के चीफ सेक्रेट्री की अगवाई में ज्वाइंट कमेटी का गठन किया गया है. यह कमेटी अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर विचार करके रिपोर्ट तैयार करेगी इसलिए कुछ वक्त और दिया जाए.
जम्मू-कश्मीर में अल्पसंख्यक हिन्दुओं को भी प्रधानमंत्री योजनाओं और सरकारी योजनाओं के तहत सुविधाएं देने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि इस मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक विभाग के सचिव और जम्मू-कश्मीर के चीफ सेक्रेट्री की अगवाई में ज्वाइंट कमेटी का गठन किया गया है. यह कमेटी अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर विचार करके रिपोर्ट तैयार करेगी इसलिए कुछ वक्त और दिया जाए.
पढ़ें: नोटबंदी से जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाओं में कमी : जेटली
इससे पहले सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर सरकार को आपस में बैठे और ये तय करे कि क्या जम्मू-कश्मीर में मुस्लिम अल्पसंख्यक हैं या नहीं. इसके तहत उन्हें कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए या नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि चार हफ्ते में सरकार फैसला ले.
इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा था. दरअसल- अंकुर शर्मा की याचिका में कहा गया है कि राज्य में हिंदू अल्पसंख्यक हैं और मुस्लिम बहुसंख्यक हैं. इसके बावजूद राज्य में 68 फीसदी मुस्लिम लोगों को ही अल्पसंख्यक के तहत लाभ मिल रहे हैं जबकि सही में हिंदुओं को ये सुविधाएं मिलनी चाहिए. याचिका में यह भी कहा गया है कि पिछले 50 साल से राज्य में अल्पसंख्यकों को लेकर कोई गणना नहीं हुई है और ना ही अल्पसंख्यक आयोग का गठन किया है इसलिए अल्पसंख्यक आयोग भी बनाया जाए.
पढ़ें: जम्मू-कश्मीर : अल्पसंख्यक हिन्दुओं की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को तीन महीने का वक्त दिया और कहा कि रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल की जाए. केंद्र और राज्य की मीटिंग ना होने पर सुप्रीम कोर्ट नाराज है. पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि इस मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक विभाग के सचिव और जम्मू-कश्मीर के चीफ सेक्रेट्री की अगवाई में ज्वाइंट कमेटी का गठन किया गया है. यह कमेटी अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर विचार करके रिपोर्ट तैयार करेगी इसलिए कुछ वक्त और दिया जाए.
जम्मू-कश्मीर में अल्पसंख्यक हिन्दुओं को भी प्रधानमंत्री योजनाओं और सरकारी योजनाओं के तहत सुविधाएं देने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि इस मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक विभाग के सचिव और जम्मू-कश्मीर के चीफ सेक्रेट्री की अगवाई में ज्वाइंट कमेटी का गठन किया गया है. यह कमेटी अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर विचार करके रिपोर्ट तैयार करेगी इसलिए कुछ वक्त और दिया जाए.
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इससे पहले सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर सरकार को आपस में बैठे और ये तय करे कि क्या जम्मू-कश्मीर में मुस्लिम अल्पसंख्यक हैं या नहीं. इसके तहत उन्हें कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए या नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि चार हफ्ते में सरकार फैसला ले.
इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा था. दरअसल- अंकुर शर्मा की याचिका में कहा गया है कि राज्य में हिंदू अल्पसंख्यक हैं और मुस्लिम बहुसंख्यक हैं. इसके बावजूद राज्य में 68 फीसदी मुस्लिम लोगों को ही अल्पसंख्यक के तहत लाभ मिल रहे हैं जबकि सही में हिंदुओं को ये सुविधाएं मिलनी चाहिए. याचिका में यह भी कहा गया है कि पिछले 50 साल से राज्य में अल्पसंख्यकों को लेकर कोई गणना नहीं हुई है और ना ही अल्पसंख्यक आयोग का गठन किया है इसलिए अल्पसंख्यक आयोग भी बनाया जाए.
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