संविधान में निहित नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों को लागू करने की मांग की याचिका पर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने आपत्ति जताई है. एजी ने कहा कि क़ानून मंत्रालय की वेबसाइट पर मौलिक कर्तव्यों के बारे में जागरूक करने के लिए उठाये कदमों की जानकारी है. जहां तक इस बारे में कानून बनाने के लिए सरकार को निर्देश देने की मांग है, कोर्ट को दखल नहीं देना चाहिए. मौलिक कर्तव्यों को लागू करने की मांग वाली जनहित याचिका पर आपत्ति जताई. उनका कहना है कि नागरिकों को उनके मौलिक कर्तव्यों को जानने के महत्व पर जागरूक करने के लिए बहुत काम किया जा चुका है और जानकारी सरकारी वेबसाइट पर उपलब्ध है. याचिकाकर्ता का कर्तव्य है कि वह याचिका दायर करने से पहले खुद को इस सब से अवगत कराएं. एजी ने साफ किया कि वे इस मामले में कोर्ट के कहने पर व्यक्तिगत हैसियत से अपनी राय रख रहे हैं.
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सरकार की ओर से SG तुषार मेहता इसमें सरकार का पक्ष रखेंगे. SG ने जवाब के लिए वक्त मांगा है. कोर्ट ने केंद्र सरकार को पक्ष रखने के लिए चार हफ्ते का वक़्त दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस दौरान राज्य भी जवाब दाखिल कर सकते है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने वकील दुर्गा दत्त द्वारा दायर जनहित याचिका पर केंद्र और राज्यों को नोटिस जारी किया था जिसमें संविधान में निहित नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों को लागू करने की मांग की गई है.
अदालत ने लोगों को संवेदनशील बनाने और मौलिक कर्तव्यों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए उठाए गए कदमों पर सरकार से जवाब मांगा है. याचिका में कहा गया है कि संविधान ने नागरिकों को कुछ मौलिक अधिकार प्रदान किए हैं, लेकिन नागरिकों को लोकतांत्रिक आचरण और लोकतांत्रिक व्यवहार के कुछ बुनियादी मानदंडों का पालन करने की भी आवश्यकता है क्योंकि अधिकार और कर्तव्य एक साथ होते हैं. इसमें आगे कहा गया है कि न्यायपालिका सहित कई संस्थानों की एकता और अखंडता की रक्षा के लिए मौलिक कर्तव्य महत्वपूर्ण उपकरण हैं. ऐसे मामले सामने आए हैं जहां कानून के अधिकारियों सहित लोगों द्वारा मौलिक कर्तव्यों का उल्लंघन किया गया है और जिसके परिणामस्वरूप अन्य नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है.
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