नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा, देह व्यापार में लिप्त लोग कैसे उम्मीद कर सकते है कि इस कोर्ट से उनको राहत मिल सकती है और आदेश उनके पक्ष में होगा।
इम्मोरल ट्रैफिकिंग प्रिवंसन एक्ट की धारा 18 का हवाला देते हुए कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि इस तरह की व्याख्या को सहमति प्रदान करते हैं तो कानून कभी भी लागू नहीं हो पाएगा। कानून की धारा की इस तरह की व्याख्या अतार्किक, और अवास्तविक होगी।
इम्मोरल ट्रैफिकिंग प्रिवंसन एक्ट की धारा 18 के तहत कोई भी महिला या व्यक्ति संलिप्त पाया जाता है तो उनको निकाल बाहर करने का आदेश दिया जा सकता है। ऐसे में उस घर में रहने वाले सभी लोगों को खाली कराने का नोटिस देना जरूरी नहीं है। (किराये के घर में देह व्यापार हो रहा हो तो)
जेबी रोड में देह व्यापार में लिप्त दो महिलाओं को हाईकोर्ट ने दोषी माना था और घर खाली कराने का आदेश दिया था। उस घर में किराये पर रह रही दूसरी महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा था कि वो देह व्यापार में लिप्त नहीं है ऐसे में उनको न निकाला जाए। लेकिन कोर्ट ने याचिका को ख़ारिज कर दिया।
इम्मोरल ट्रैफिकिंग प्रिवंसन एक्ट की धारा 18 का हवाला देते हुए कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि इस तरह की व्याख्या को सहमति प्रदान करते हैं तो कानून कभी भी लागू नहीं हो पाएगा। कानून की धारा की इस तरह की व्याख्या अतार्किक, और अवास्तविक होगी।
इम्मोरल ट्रैफिकिंग प्रिवंसन एक्ट की धारा 18 के तहत कोई भी महिला या व्यक्ति संलिप्त पाया जाता है तो उनको निकाल बाहर करने का आदेश दिया जा सकता है। ऐसे में उस घर में रहने वाले सभी लोगों को खाली कराने का नोटिस देना जरूरी नहीं है। (किराये के घर में देह व्यापार हो रहा हो तो)
जेबी रोड में देह व्यापार में लिप्त दो महिलाओं को हाईकोर्ट ने दोषी माना था और घर खाली कराने का आदेश दिया था। उस घर में किराये पर रह रही दूसरी महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा था कि वो देह व्यापार में लिप्त नहीं है ऐसे में उनको न निकाला जाए। लेकिन कोर्ट ने याचिका को ख़ारिज कर दिया।
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