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This Article is From Mar 29, 2016

पालतू हाथियों पर अत्याचार को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त, केरल सरकार से मांगा जवाब

पालतू हाथियों पर अत्याचार को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त, केरल सरकार से मांगा जवाब
प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली: पालतू हाथियों पर अत्याचार को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए कहा है कि 1972 के वन्यजीवन (संरक्षण) कानून का पालन होना चाहिए और कानून के तहत इस मामले में दिशा निर्देश जारी किए जाएंगे।  कोर्ट ने केरल राज्य सरकार को नोटिस जारी कर तीन हफ़्ते में जवाब मांगा है।

कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि 1972 के वन्यजीवन (संरक्षण) कानून के तहत बने एक्ट के बाद क्या कोई हाथी को पाल सकता है। अगर एक्ट कहता है कि आप हाथियों को पाल सकते है तो उसमें शर्तें क्या-क्या हैं। हाथियों के स्वास्थ्य की देखरेख की जिम्मेदारी किस विभाग की होती है। मामले की अगली सुनवाई 27 अप्रैल को होगी।

गौरतलब है कि छह संस्थाओं और कुछ व्यक्तियों द्वारा दाखिल एक जनहित याचिका में कहा गया था कि धार्मिक संस्थाओं और निजी मिल्कियत में रखे गए हाथियों की संख्या 3,000 से अधिक है। यह संख्या वन विभाग, चिड़ियाघरों और सर्कसों में रहने वाले हाथियों की कहीं ज्यादा है और उन पर किए जाने वाले अत्याचार का मामला वन्यजीवन (संरक्षण) कानून और पशुओं के प्रति क्रूरता की रोकथाम कानून के अंतर्गत आता है।

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