12 वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं (12th Board Exams) का मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (CBSE) को कहा है कि हमने आपकी स्कीम पर सैद्धांतिक तौर पर सहमति दी है, लेकिन कुछ याचिकाओं में बोर्ड परीक्षा को रद्द करने को चुनौती दी गई है इसलिए इन याचिकाकर्ताओं की बात सुनना भी जरूरी है. अदालत सिर्फ उन्हीं याचिकाओं पर सुनवाई करेगी जो दाखिल हो चुकी हैं. अदालत अब नई याचिकाओं पर सुनवाई नहीं करेगी और रजिस्ट्री को कहेगी कि नई याचिकाओं को स्वीकार न करे. सुप्रीम कोर्ट मंगलवार दो बजे इन याचिकाओं पर सुनवाई करेगा.
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सीबीएसई के 12वीं की परीक्षा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो सीबीएसई की योजना और छात्रों की ओर से दाखिल फिजिकल इम्तिहान की याचिका का बिंदुवार अध्ययन करेगा. याचिकाकर्ता यूपी पेरेंट्स एसोसियेशन की ओर से सीनियर एडवोकेट विकास सिंह ने कहा कि इच्छुक छात्रों को डबल मास्क के साथ इम्तिहान देने की इजाजत मिलनी चाहिए. पूर्व छात्रों के प्राप्तांक का आधार कैसे होगा? बारहवीं के इम्तिहान और नतीजे काफी अहम होते हैं, इसमें ऐसे फार्मूला सही नहीं हो सकते. इससे भविष्य में केस मुकदमों की बाढ़ आ जाएगी.सुप्रीम कोर्ट ने दलीलें सुनने के बाद कहा कि वो दोनों हलफनामों में उठाए गए मुद्दों, सवालों और सुझावों का विंदुवार अध्ययन करेंगे. इसके बाद ही समझ में आएगा कि समस्या क्या है और समुचित समाधान क्या हो! ऐसे ही किसी के ख्याल, आशंका या विचार का कोई मतलब नहीं है. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में CBSE और ICSE को कहा था कि वो किसी भी स्थिति में छात्रों को अपने अंक सुधारने के लिए परीक्षा में बैठने का अवसर दे और दूसरा परिणाम घोषित करने की समय-सीमा और वैकल्पिक परीक्षा आयोजित करने की तारीख के बारे में जानकारी दे. इस दौरान CBSE ने 12वीं के छात्रों को अंक देने की प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट में रखी थी कि 10वीं, 11वीं और 12वीं के अंकों के आधार पर आएगा. रिज़ल्ट- 30% - 10वीं के 3 टॉप विषयों के आधार पर - 30% -11वीं के आधार पर - 40% -12वीं के यूनिट टेस्ट आदि के आधार पर, 31 जुलाई तक आ जाएगा. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने उन राज्यों को नोटिस जारी किया था जिन्होंने बोर्ड की परीक्षाओं को रद्द नहीं किया है, वहीं देश भर के दसवीं और बारहवीं कक्षा के 1152 छात्रों की याचिका पर भी सुनवाई होगी जिन्होंने CBSE कक्षा बारहवीं के कम्पार्टमेंट / प्राइवेट / रिपीटर्स परीक्षा को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
असम, त्रिपुरा और पंजाब राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि उन्होंने COVID-19 स्थिति को देखते हुए अपने-अपने बोर्ड द्वारा कक्षा 12 के लिए प्रस्तावित परीक्षाओं को रद्द करने का फैसला किया है. आंध्र प्रदेश राज्य ने कहा कि कक्षा 12 की परीक्षा रद्द करने पर निर्णय नहीं लिया है.आंध्र प्रदेश के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार नीति के तहत परीक्षा आयोजित करना चाहती है. सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार के वकील को मंगलवार तक निर्देश लेने को कहा है. साथ ही SC ने कहा कि कि निर्देश लाएं नहीं तो वो आदेश जारी करेगा. सुप्रीम कोर्ट राज्यों की बोर्ड परीक्षा रद्द करने की याचिकाओं पर भी मंगलवार को ही सुनवाई करेगा
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याचिकाकर्ताओं ने सीबीएसई बोर्ड को नियमित छात्रों के लिए सीबीएसई और अन्य शिक्षा बोर्डों द्वारा अपनाए गए मूल्यांकन फार्मूले के अनुरूप बारहवीं कक्षा के निजी / कम्पार्टमेंट / रिपीटर्स छात्रों के प्रदर्शन मूल्यांकन के लिए एक सूत्र पर पहुंचने और समयबद्ध तरीके से परिणाम जारी करने के लिए निर्देश देने की भी प्रार्थना की है. सुप्रीम कोर्ट ने बारहवीं के बोर्ड इम्तिहान के लिए सीबीएसई के जिस फार्मूले को हरी झंडी दी थी उसे कुछ छात्रों ने चुनौती दी है. सुप्रीम कोर्ट में 1152 छात्रों ने याचिका दायर कर इस स्कीम पर सवाल उठाते हुए कुछ सुझाव भी दिए हैं. छात्रों ने अपनी याचिका में कंपार्टमेंट, पिछले कई सालों से पास होने की उम्मीद में इम्तिहान देने वाले, पत्राचार से बारहवीं करने वाले, ड्रॉप आउट, प्राइवेट छात्रों के लिए भी नीति बनाने की मांग की है. इन वर्गों के तहत परीक्षा देने वाले छात्रों, अभिभावकों, शिक्षकों आदि की स्वास्थ्य सुरक्षा सहित सभी जरूरी इंतजाम करने के मुद्दे भी याचिका में उठाए गए हैं. SC ने तीन जून को सीबीएसई को बारहवीं के इम्तिहान की बाबत योजना बनाकर कोर्ट में पेश करने को कहा था. बोर्ड ने 17 जून को अपना फार्मूला कोर्ट को दिया जो कोर्ट ने मंजूर करते हुए रिकॉर्ड पर लिया लेकिन याचिकाकर्ता छात्रों का कहना है कि इन वर्गों के छात्रों और परीक्षार्थियों को लेकर नई स्कीम उदासीन है. ये संविधान में दिए गए बुनियादी अधिकारों में समानता के अधिकारों के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है. फरवरी में बोर्ड के सर्कुलर के मुताबिक कंपार्टमेंट, रिपिटिव, प्राइवेट, कॉरेस्पोंडेंस कोर्स आदि के परीक्षार्थियों के लिए प्रैक्टिकल, प्रोजेक्ट, इंटरनल असेसमेंट आदि अलग से आयोजित करने के बजाय रेगुलर छात्रों के साथ ही कराए जाएंगे. याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि इन वर्गों के छात्रों की आपत्तियां भी कोर्ट मंगाए और उनको भी व्यवहारिक राहत दे
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