प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड की अनिवार्यता के खिलाफ दाखिल याचिका पर जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया है. गुरुवार को याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट ने मांग की थी संवैधानिक पीठ के सामने लंबित याचिका पर जल्द सुनवाई की जाए.
जल्द सुनवाई की मांग करते हुए कहा गया कि आधार कार्ड के जरिए सरकार लोगों की गतिविधियों पर नजर रख रही है, जो निजता यानि राइट टू प्राइवेसी के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. इससे पहले अक्टूबर 2015 में आधार कार्ड के मामले में सुप्रीम कोर्ट से केंद्र को बड़ी राहत मिली थी. संवैधानिक पीठ ने आधार कार्ड को स्वैच्छिक रूप से मनरेगा, पीएफ, पेंशन और जनधन योजना के साथ लिंक करने की इजाजत दे दी थी, लेकिन पीठ ने साफ किया था कि इसे अनिवार्य नहीं किया जाएगा.
दरअसल, 11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में आधार की अनिवार्यता प्रतिबंधित करने से हो रही परेशानी को लेकर आरबीआई, सेबी और गुजरात सरकार ने गुहार लगाई थी, लेकिन तीन जजों की बेंच ने राहत न देते हुए मामले को संवैधानिक पीठ के समक्ष भेज दिया था.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अपने पुराने आदेश में कहा था कि केवल एलपीजी, केरोसिन और पीडीएस के लिए ही आधार कार्ड का इस्तेमाल हो सकता है.
सरकार ने कोर्ट में कहा था कि आधार के जरिये सरकार देश के छह लाख गांवों में घर-घर पहुंची है. सरकार ने कहा कि लोगों को मनरेगा के लिए घर तक बैंक पैसा पहुंचा रहे हैं.
प्रधानमंत्री की जनधन योजना की सफलता में आधार की भूमिका रही है. आधार की वजह से सरकार के एलपीजी सब्सिडी में एक साल में 15 से 20 हजार करोड़ बचाए गए. बूढ़े और लाचारों तक घर पर ही पेंशन पहुंच रही है. आधार नहीं होगा तो गरीबों को खानी दर दर की ठोकरें खानी होंगी.
आरबीआई ने कहा था कि एलपीजी, केरोसिन और पीडीएस में आधार को लिंक करने के कोर्ट ने आदेश दिए थे. ऐसे में क्या कोई अपनी मर्जी से आधार कार्ड के जरिए एकाउंट खोलना चाहता है, तो क्या करें. खास कर तब जब उसके पास आधार के अलावा कोई और दूसरा पहचान पत्र न हो.
जल्द सुनवाई की मांग करते हुए कहा गया कि आधार कार्ड के जरिए सरकार लोगों की गतिविधियों पर नजर रख रही है, जो निजता यानि राइट टू प्राइवेसी के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. इससे पहले अक्टूबर 2015 में आधार कार्ड के मामले में सुप्रीम कोर्ट से केंद्र को बड़ी राहत मिली थी. संवैधानिक पीठ ने आधार कार्ड को स्वैच्छिक रूप से मनरेगा, पीएफ, पेंशन और जनधन योजना के साथ लिंक करने की इजाजत दे दी थी, लेकिन पीठ ने साफ किया था कि इसे अनिवार्य नहीं किया जाएगा.
दरअसल, 11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में आधार की अनिवार्यता प्रतिबंधित करने से हो रही परेशानी को लेकर आरबीआई, सेबी और गुजरात सरकार ने गुहार लगाई थी, लेकिन तीन जजों की बेंच ने राहत न देते हुए मामले को संवैधानिक पीठ के समक्ष भेज दिया था.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अपने पुराने आदेश में कहा था कि केवल एलपीजी, केरोसिन और पीडीएस के लिए ही आधार कार्ड का इस्तेमाल हो सकता है.
सरकार ने कोर्ट में कहा था कि आधार के जरिये सरकार देश के छह लाख गांवों में घर-घर पहुंची है. सरकार ने कहा कि लोगों को मनरेगा के लिए घर तक बैंक पैसा पहुंचा रहे हैं.
प्रधानमंत्री की जनधन योजना की सफलता में आधार की भूमिका रही है. आधार की वजह से सरकार के एलपीजी सब्सिडी में एक साल में 15 से 20 हजार करोड़ बचाए गए. बूढ़े और लाचारों तक घर पर ही पेंशन पहुंच रही है. आधार नहीं होगा तो गरीबों को खानी दर दर की ठोकरें खानी होंगी.
आरबीआई ने कहा था कि एलपीजी, केरोसिन और पीडीएस में आधार को लिंक करने के कोर्ट ने आदेश दिए थे. ऐसे में क्या कोई अपनी मर्जी से आधार कार्ड के जरिए एकाउंट खोलना चाहता है, तो क्या करें. खास कर तब जब उसके पास आधार के अलावा कोई और दूसरा पहचान पत्र न हो.
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