कावेरी नदी के जल बंटवारे पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में तमिलनाडु के हिस्से को कम कर दिया है
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र से नाराजगी जाहिर करते हुए है कि कावेरी जल विवाद पर उसके फैसले को लागू कराने के संबंध में अपनी योजना मसौदा तीन मई तक पेश करे. कोर्ट ने कहा कि आपको हमारे आदेशों का सम्मान करना चाहिए था. हमें आश्चर्य है कि केंद्र को 6 हफ्ते का वक्त देने के बावजूद इस पर अमल नहीं किया गया. हर वक्त कोर्ट इसे मॉनीटर नहीं कर सकता इसलिए हमने कहा था कि कानून के मुताबिक एक स्कीम बनाई जानी चाहिए. राज्यों का इस मामले में कोई लेना देना नहीं है और केंद्र को ये साबित करना होगा कि वो आदेश का पालन करना चाहता है.
कावेरी जल विवाद के बीच चेन्नई में IPL मैचों का आयोजन शर्मनाक: रजनीकांत
प्रधान न्यायाधीश मिश्रा ने अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल को शीर्ष अदालत के 16 फरवरी के आदेशानुसार योजना दाखिल करने का निर्देश देते हुए कहा, "आप को इसे दाखिल करना होगा.वे ऐसा करने को बाध्य हैं." केंद्र ने कर्नाटक विधानसभा के चुनावों का हवाला देते हुए व कुछ स्पष्टीकरणों की मांग करते हुए कावेरी मुद्दे पर अदालत के फैसले के क्रियान्वयन के लिए योजना बनाने के लिए तीन महीने के समय की मांग की थी. सर्वोच्च अदालत ने कावेरी मामले में फरवरी के अपने फैसले में थोड़ा संशोधन किया था.
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तमिलनाडु की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील शेखर नफाडे ने अदालत से कहा, "आपका आदेश इतना स्पष्ट था कि जिस व्यक्ति को अंग्रेजी का प्राथमिक ज्ञान है वह भी इसे समझ सकता है. लेकिन केवल केंद्र ही इसे नहीं समझ पा रहा, जिसका कारण उसे ही बेहतर पता होगा.".
गौरतलब है कि कावेरी नदी के जल बंटवारे को लेकर तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच काफी सालों से विवाद चल रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कावेरी नदी के पानी में तमिलनाडु का हिस्सा घटा दिया था लेकिन उसने राज्य में पेयजल की जरुरत को पूरा करने के लिए नदी बेसिन से 10 टीएमसी फुट भूजल निकालने की इजाजत दी थी.
(इनपुट आईएएनएस से)
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प्रधान न्यायाधीश मिश्रा ने अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल को शीर्ष अदालत के 16 फरवरी के आदेशानुसार योजना दाखिल करने का निर्देश देते हुए कहा, "आप को इसे दाखिल करना होगा.वे ऐसा करने को बाध्य हैं." केंद्र ने कर्नाटक विधानसभा के चुनावों का हवाला देते हुए व कुछ स्पष्टीकरणों की मांग करते हुए कावेरी मुद्दे पर अदालत के फैसले के क्रियान्वयन के लिए योजना बनाने के लिए तीन महीने के समय की मांग की थी. सर्वोच्च अदालत ने कावेरी मामले में फरवरी के अपने फैसले में थोड़ा संशोधन किया था.
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तमिलनाडु की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील शेखर नफाडे ने अदालत से कहा, "आपका आदेश इतना स्पष्ट था कि जिस व्यक्ति को अंग्रेजी का प्राथमिक ज्ञान है वह भी इसे समझ सकता है. लेकिन केवल केंद्र ही इसे नहीं समझ पा रहा, जिसका कारण उसे ही बेहतर पता होगा.".
गौरतलब है कि कावेरी नदी के जल बंटवारे को लेकर तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच काफी सालों से विवाद चल रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कावेरी नदी के पानी में तमिलनाडु का हिस्सा घटा दिया था लेकिन उसने राज्य में पेयजल की जरुरत को पूरा करने के लिए नदी बेसिन से 10 टीएमसी फुट भूजल निकालने की इजाजत दी थी.
(इनपुट आईएएनएस से)
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