(प्रतीकात्मक तस्वीर)
नई दिल्ली:
आधार मामले की सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय के पूर्व प्रधान न्यायाधीश वाई वी चंद्रचूड़ के बेटे न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने बुधवार को अपना व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुये कहा कि अल्जाइमर से पीड़ित उनकी मां को पेंशन के लिये प्रमाणीकरण के दौरान मुश्किलों का सामना करना पड़ा था. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ आधार योजना और 2016 के इसे प्रभावी बनाने वाले कानून की संवैधानिक वैधता पर सुनवाई कर रही प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के सदस्य हैं. मामले पर सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि आधार प्रमाणीकरण में विफलता से जरूरतमंदों के सामने समस्या आ सकती है और इसके लिये कोई समाधान तलाशा जाना चाहिए. पीठ में न्यायमूर्ति ए के सीकरी, ए एम खानविलकर और अशोक भूषण भी शामिल हैं.
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अपना अनुभव याद करते हुये न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ‘पूर्व प्रधान न्यायाधीश ( दिवंगत न्यायमूर्ति वाई वी चंद्रचूड़ ) की पत्नी होने के नाते मेरी मां जो अल्जाइमर से पीड़ित हैं वह पारिवारिक पेंशन की हकदार हैं.’ उन्होंने कहा, ‘उन्हें प्रमाणीकरण के लिये अंगूठे का निशान देना था. मुझे याद है कि हर महीने बैंक प्रबंधक या उनके प्रतिनिधि घर आते थे और कुछ दस्तावेजों पर उनके अंगूठे का निशान लेते थे जिसके बाद ही उन्हें पेंशन मिल सकती थी.’
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न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ‘इसलिये यह ( प्रमाणीकरण ) गंभीर मुद्दा है. यह उदारता नहीं है. यह धर्मार्थ नहीं है. हमें इन समस्याओं का जवाब तलाशना होगा.’ उन्होंने कहा कि ऐसे जरूरतमंद लोगों का एक वर्ग है जिन्हें प्रमाणीकरण की विफलता की वजह से लाभ नहीं मिल पाता.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ‘इसलिये यह ( प्रमाणीकरण ) गंभीर मुद्दा है. यह उदारता नहीं है. यह धर्मार्थ नहीं है. हमें इन समस्याओं का जवाब तलाशना होगा.’ उन्होंने कहा कि ऐसे जरूरतमंद लोगों का एक वर्ग है जिन्हें प्रमाणीकरण की विफलता की वजह से लाभ नहीं मिल पाता.
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