सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया। याचिका में मांग की गई है कि संवैधानिक पद पर रहते हुए कानून का उल्लंघन करने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता वाली पीठ ने गृह सचिव के माध्यम से केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार को तब नोटिस जारी किया, जब याचिकाकर्ता एमएल शर्मा ने तर्क दिया कि कानून बनाने वाला व्यक्ति कानून तोड़ने वाला नहीं हो सकता।
इस पर न्यायमूर्ति लोढ़ा ने कहा कि दोहरा चरित्र नहीं हो सकता है।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस हफ्ते के आरंभ में दिल्ली पुलिस द्वारा उनके मंत्री का आदेश न मानने पर पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर धरना दिया था। दो पुलिसकर्मियों के छुट्टी पर भेजे जाने के बाद ही उनका धरना खत्म हुआ।
वकील एन राजारामन की एक अन्य याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पूछा, अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के लागू होने के बावजूद कानून प्रवर्तन एजेंसी/पुलिस ने क्यों गैर-कानूनी ढंग से पांच या उससे अधिक लोगों को एकत्र होने दिया।
कोर्ट ने यह भी पूछा कि क्या पुलिस ने गैरकानूनी ढंग से एकत्र भीड़ को हटने के लिए कहने के बाद बलपूर्वक हटाने का प्रयास किया या नहीं और ऐसा करने के बाद भी भीड़ नहीं हटी।
संवैधानिक महत्व के प्रश्नों पर कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को जवाब देने के लिए छह सप्ताह का समय दिया है, लेकिन निषेधाज्ञा लागू करने के आदेशों से संबंधित दो सवालों का जवाब देने के लिए अदालत ने 31 जनवरी 2104 तक का समय दिया है।
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