विज्ञापन
This Article is From Aug 21, 2020

पर्यूषण पर्व के लिए जैन मंदिर खोलने की इजाजत, CJI बोले- भगवान जगन्नाथ ने माफ किया, हमें फिर से माफ कर दिया जाएगा

मुंबई में पर्यूषण पर्व के दौरान तीन जैन मंदिरों को खोलने की सुप्रीम कोर्ट ने सशर्त इजाजत दी है. दादर, बाइकूला और चेंबूर स्थित जैन मंदिरों को 22 और 23 अगस्त को खोलने की अनुमति मिली है.

पर्यूषण पर्व के लिए जैन मंदिर खोलने की इजाजत, CJI बोले- भगवान जगन्नाथ ने माफ किया, हमें फिर से माफ कर दिया जाएगा
सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर खोलने की सशर्त इजाजत दी है. (फाइल फोटो)
Quick Reads
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
सुप्रीम कोर्ट ने दी सशर्त इजाजत
खोले जाएंगे ये तीन जैन मंदिर
22 और 23 अगस्त को खुलेंगे मंदिर
नई दिल्ली:

मुंबई (Mumbai) में पर्यूषण पर्व (Paryushana Festival) के दौरान तीन जैन मंदिरों (Jain Temple) को खोलने की सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सशर्त इजाजत दी है. दादर, बाइकूला और चेंबूर स्थित जैन मंदिरों को 22 और 23 अगस्त को खोलने की अनुमति मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर प्रबंधन को कहा कि वो अंडरटेकिंग दें कि कोरोना को लेकर SoP और सरकार की गाइडलाइन का पालन करेंगे. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि राज्य सरकार ने मॉल्स और अन्य आर्थिक गतिविधियों को खोलने की अनुमति दी है लेकिन मंदिरों की नहीं.

CJI एसए बोबडे (CJI SA Bobde) की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि वे (राज्य सरकार) हर गतिविधि की अनुमति दे रहे हैं, जिसमें पैसा शामिल है लेकिन वे मंदिरों के लिए कहते हैं कि कोविड हैं. CJI बोबडे ने कहा कि यह एक गतिशील स्थिति है और यह वास्तव में गंभीर मामला है. यदि आप SoP को लागू कर सकते हैं और सभी सुरक्षा उपायों का पालन कर रहे हैं तो गतिविधियां क्यों नहीं होनी चाहिए. हम इसे प्रतिकूल मुकदमेबाजी नहीं मान रहे हैं. यह विचार समुदाय के लोगों की मदद करना है.

सुप्रीम कोर्ट में फिर से 'फिजिकल सुनवाई' शुरू करने की तैयारी, वकीलों-पक्षकारों से लिखित सहमति मांगी

मुख्य न्यायाधीश ने आगे कहा, 'यदि एक मंदिर में एक समय में पांच लोगों की बात होती है और सभी जगहों पर इस प्रारूप को दोहराया जा सकता है, तो हम जैन मंदिरों से परे इस दायरे का विस्तार करने के विरोध में नहीं हैं. हिंदू मंदिर क्यों नहीं, क्यों मुस्लिम धार्मिक स्थल क्यों नहीं. अदालत ने जगन्नाथ रथ यात्रा का हवाला दिया और कहा कि उसका भी प्रबंध किया गया.' इस दौरान केंद्र की ओर से SG तुषार मेहता ने कहा कि MHA और MOEF की गाइडलाइन धार्मिक गतिविधियों को नहीं रोकती हैं. सुरक्षा उपायों के अनुपालन के अधीन धार्मिक गतिविधियां चल सकती हैं. केवल कोई भी धार्मिक मण्डली नहीं हो सकती.

अब देश के किसी भी कोने से ई-फाइलिंग के जरिए सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हो सकेगी याचिका

याचिकाकर्ता की ओर से दुष्यंत दवे ने अदालत को बताया कि प्रार्थना याचिकाकर्ताओं से आश्वासन के अधीन है कि सभी सुरक्षा उपायों का पालन किया जाएगा. किसी भी समय मंदिरों में केवल पांच लोगों को और एक ही दिन में 12-65 आयु वर्ग के बीच कुल 250 लोगों को अनुमति दी जा सकती है. वहीं महाराष्ट्र सरकार ने इसका विरोध किया है. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, मैं राज्य के हित के लिए लड़ रहा हूं. स्थिति को प्रबंधित करने में बड़ी कठिनाई होगी. सिंघवी ने जमीनी हालात की तस्वीर बताने के लिए महाराष्ट्र राज्य के COVID-19 के आंकड़ों का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि सरकार किसी धर्म के खिलाफ नहीं है. वह खुद भी जैन हैं लेकिन राज्य के हित को देखते हुए विरोध कर रहे हैं. यह मामला राज्य सरकार पर छोड़ दिया जाए.

सुप्रीम कोर्ट में उठा मजदूरों के पलायन का मुद्दा, CJI ने कहा- डर और दहशत इस वायरस से भी बड़ी समस्या

बता दें कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने 1 अगस्त को जैन समुदाय के सदस्यों को पर्यूषण पर्व (15 अगस्त से 23 अगस्त तक) की पवित्र अवधि में मंदिरों में पूजा करने की अनुमति देने से इंकार कर दिया था. हाईकोर्ट ने कहा कि इस समय प्रत्येक समझदार व्यक्ति का कर्तव्य, धार्मिक कर्तव्यों के सा‌थ सार्वजनिक कर्तव्यों को संतुलित करना है और बाकी मानव जाति के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझना है. ज‌स्टिस एसजे कथावाला और ज‌स्टिस माधव जामदार की खंडपीठ ने अंकित वोरा और श्री ट्रस्टी आत्म कमल लब्धिशुरिश्वरजी जैन ज्ञानमंदिर ट्रस्ट की ओर से दायर दो याचिकाओं पर सुनवाई की थी.

उपहार आग मामला : SC से अंसल बंधुओं को राहत, अब आगे नहीं जाएंगे जेल, कोर्ट ने खारिज की याचिका

याचिका में कहा गया था कि महाराष्ट्र सरकार ने स्पा, जिम, ब्यूटी पार्लर, नाई की दुकान, शराब की दुकान, मॉल, मार्केट कॉम्प्लेक्स आदि खोलने की अनुमति दी और सीमित संख्या में विवाह समारोहों और अंतिम संस्कार समारोहों में शामिल होने की भी अनुमति दी, लेकिन धार्मिक स्थलों/पूजा स्थलों को खोलने की अनुमति अब तक नहीं दी गई है. अदालत ने कहा कि इस आदेश की समाप्ती से पहले, हम एक बार फिर दोहराएंगे कि इस समय हर समझदार व्यक्ति का कर्तव्य है कि वे सार्वजनिक कर्तव्यों और धार्मिक कर्तव्यों के बीच संतुलन स्‍थापित करें और शेष मानव जाति के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझें.

सोशल मीडिया पर संसद और सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियों को रोकने के लिए मैकेनिज्म तैयार करे सरकार - सुप्रीम कोर्ट

इस संबंध में, हम एक बार फिर वही कहेंगे, जो हमने याचिकाकर्ताओं को सुनवाई के समय पहले ही बता दिया था कि "ईश्वर हमारे भीतर है" और "ईश्वर हर जगह है". हालांकि, पीठ ने रिट याचिकाओं का निस्तारण नहीं किया और यह ध्यान में रखते हुए कि वर्तमान प्रतिबंध 31 अगस्त, 2020 तक लागू हैं, 7 सितंबर, 2020 को "निर्देशों के लिए" सुरक्षित रखा. इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि यह आदेश किसी अन्य धार्मिक मंडली या मंदिर के लिए नहीं है. अदालत ने साफ किया है कि धार्मिक मंडली को इजाजत नहीं दी जाएगी.

VIDEO: प्रशांत भूषण को बयान पर पुनर्विचार के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दिया दो दिन का वक्त

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com