विज्ञापन
This Article is From Sep 12, 2017

तलाक मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी कानूनी अड़चन को किया समाप्त

दरअसल सेक्शन 13B(2) में कहा गया है कि पहले मोशन यानी तलाक की अर्ज़ी फैमिली जज के सामने आने के 6 महीने बाद ही दूसरा मोशन हो सकता है.

तलाक मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी कानूनी अड़चन को किया समाप्त
तलाक पर सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने तलाक मामलों में बड़ी कानूनी अड़चन को खत्म कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि अगर परिस्थितियां खास हों तो तलाक के लिए 6 महीने का इंतज़ार अनिवार्य नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने हिन्दू मैरिज एक्ट के सेक्शन 13B(2) को अनिवार्य मानने से मना कर दिया है. इस सेक्शन के तहत आपसी सहमति से तलाक के मामलों में भी अंतिम आदेश 6 महीने बाद दिया जाता है. दरअसल सेक्शन 13B(2) में कहा गया है कि पहले मोशन यानी तलाक की अर्ज़ी फैमिली जज के सामने आने के 6 महीने बाद ही दूसरा मोशन हो सकता है.

कानून में इस अवधि का प्रावधान इसलिए किया गया है ताकि पति-पत्नी में अगर सुलह मुमकिन हो तो दोनों इस पर प्रयास कर सकें. ये फैसला दिल्ली के एक दंपत्ति के मामले में आया है. 8 साल से अलग रह रहे पति-पत्नी ने आपसी सहमति से तीस हज़ारी कोर्ट में तलाक का आवेदन दिया. इससे पहले दोनों ने गुज़ारा भत्ता, बच्चों की कस्टडी जैसी तमाम बातें भी आपस में तय कर लीं. इसके बावजूद जज ने उन्हें 6 महीने इंतज़ार करने को कहा. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 6 महीने के इंतज़ार को खत्म कर दिया है. साथ ही, देश की तमाम फैमिली अदालतों को ये निर्देश दिया है कि अब से वो हिन्दू मैरिज एक्ट के सेक्शन 13B(2) को अनिवार्य न मानें. अगर ज़रूरी लगे तो फौरन तलाक का आदेश दे सकते हैं। इस एक्ट के मुताबिक आपसी सहमति से तलाक के आवेदन को स्वीकार करने के बाद जज दोनों पक्षों को 6 महीने का समय देते हैं. अगर इस अवधि के बाद भी दोनों पक्ष साथ रहने को तैयार नहीं होते तो तलाक का आदेश दिया जाता है. 

यह भी पढ़ें :"ऋतिक रोशन पर कंगना रनोट के आरोप, सुजैन खान ने दिया करारा जवाब!

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और यूयू ललित की बेंच ने कोर्ट ने कहा कि अंतिम आदेश के लिए 6 महीने का वक़्त लेना सिविल जज के विवेक पर निर्भर होगा. अगर जज चाहे तो खास परिस्थितियों में तुरंत तलाक का आदेश दे सकते हैं. फैसले में कहा गया है कि तलाक की अर्ज़ी लगाने के 1 सप्ताह बाद पति-पत्नी ऊपर बताई गई परिस्थितियों का हवाला देते हुए तुरंत आदेश की मांग कर सकते हैं. अगर फैमिली जज को उचित लगे तो वो तलाक का आदेश जल्दी दे सकते हैं.
VIDEO: सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक पर फैसला दिया

सुप्रीम कोर्ट ने उन ख़ास परिस्थितियों को भी अपने फैसले में भी स्पष्ट किया है जिनमें तलाक का आदेश फौरन दिया जा सकता है :-
1. अगर 13B(2) में कहा गया 6 महीने का वक़्त और 13B(1) में कहा गया 1 साल का वक़्त पहले ही बीत चुका हो. यानी तलाक की अर्ज़ी लगाने से डेढ़ साल से ज़्यादा समय से पति-पत्नी अलग रह रहे हों.
2. दोनों में सुलह-सफाई के सारे विकल्प असफल हो चुके हों. आगे भी सुलह की कोई गुंजाईश न हो.
3. अगर दोनों पक्ष पत्नी के गुज़ारे के लिए स्थाई बंदोबस्त, बच्चों की कस्टडी आदि मुद्दों को पुख्ता तौर पर हल कर चुके हों.
4. अगर 6 महीने का इंतज़ार दोनों की परेशानी को और बढ़ाने वाला नज़र आए.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Previous Article
जम्मू कश्मीर चुनाव को लेकर महिलाओं में कैसा उत्‍साह... जानें किस पार्टी के उम्‍मीदवार सबसे ज्‍यादा अमीर?
तलाक मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी कानूनी अड़चन को किया समाप्त
महाराष्ट्र : एमएसआरटीसी की हड़ताल से यात्री परेशान, 96 बस डिपो पूरी तरह से बंद
Next Article
महाराष्ट्र : एमएसआरटीसी की हड़ताल से यात्री परेशान, 96 बस डिपो पूरी तरह से बंद
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com