फाइल फोटो
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने जलीकट्टू पर तमिलनाडु सरकार की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी है. लिहाजा जलीकट्टू पर लगी रोक जारी रहेगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मनोरंजन के नाम पर जानवरों पर अत्याचार को इजाजत नहीं दी जा सकती. जब जानवरों को अत्याचार से बचाने के लिए केंद्रीय कानून बनाए गए हैं तो किसी भी तरह की जानवरों की दौड़ या किसी और कारण से इस तरह के आयोजनों को इजाजत नहीं दी जा सकती.
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इंसानों के मनोरंजन के लिए बैलों की दौड़ की इजाजत नहीं दी जा सकती. ये ना तो संवैधानिक सिद्धांतों के खिलाफ है और जानवरों के प्रति क्रूरता के कानून के खिलाफ भी है.
कोर्ट ने कहा कि आधुनिक युग में अगर कोई ऐसा मनोरंजन करना चाहता है तो फिर वो कंप्यूटर पर करे. दरअसल सुप्रीम कोर्ट तमिलनाडु के जलीकट्टू मामले की सुनवाई कर रहा है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के जनवरी के नोटिफिकेशन पर रोक लगा दी थी. अब केंद्र के जलीकट्टू को लेकर सात जनवरी के नोटिफिकेशन पर सुनवाई 1 दिसंबर को होगी.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में तमिलनाडु की ओर से कहा गया है कि मैराथन में भी लोग दौडते हैं तो जलीकट्टू में क्या दिक्कत हो सकती है? लेकिन कोर्ट ने कहा कि मैराथन दौड़े या नहीं ये लोगों की इच्छा पर आधारित है लेकिन जलीकट्टू में दौड़ने वाले बैल अपनी इच्छा नहीं रख सकते.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि एक ओर आप हमसे गाय के प्रति सहानुभूति दिखाने की मांग करते हैं और दूसरी ओर बैलों के प्रति अत्याचार करने की कोशिश करते हैं.
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इंसानों के मनोरंजन के लिए बैलों की दौड़ की इजाजत नहीं दी जा सकती. ये ना तो संवैधानिक सिद्धांतों के खिलाफ है और जानवरों के प्रति क्रूरता के कानून के खिलाफ भी है.
कोर्ट ने कहा कि आधुनिक युग में अगर कोई ऐसा मनोरंजन करना चाहता है तो फिर वो कंप्यूटर पर करे. दरअसल सुप्रीम कोर्ट तमिलनाडु के जलीकट्टू मामले की सुनवाई कर रहा है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के जनवरी के नोटिफिकेशन पर रोक लगा दी थी. अब केंद्र के जलीकट्टू को लेकर सात जनवरी के नोटिफिकेशन पर सुनवाई 1 दिसंबर को होगी.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में तमिलनाडु की ओर से कहा गया है कि मैराथन में भी लोग दौडते हैं तो जलीकट्टू में क्या दिक्कत हो सकती है? लेकिन कोर्ट ने कहा कि मैराथन दौड़े या नहीं ये लोगों की इच्छा पर आधारित है लेकिन जलीकट्टू में दौड़ने वाले बैल अपनी इच्छा नहीं रख सकते.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि एक ओर आप हमसे गाय के प्रति सहानुभूति दिखाने की मांग करते हैं और दूसरी ओर बैलों के प्रति अत्याचार करने की कोशिश करते हैं.
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