दाऊद इब्राहिम (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
अंडर वर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की बहन हसीना पारकर और मां अमीना बी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि दाऊद इब्राहिम की मुंबई की करोड़ों की संपत्ति जब्त होगी. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को जब्त करने की इजाजत दी. बता दें कि मुंबई के नागपाडा में दाऊद की करोडों की संपत्ति है. इतना ही नहीं, दो संपत्ति अमीना के नाम और पांच हसीना के नाम है. एजेंसियों का दावा कि ये संपत्ति दाउद ने गैरकानूनी तरीके से अर्जित की थी. इस तरह से दाउद की मां व बहन की अर्जी खारिज हो चुकी है और दोनों की मौत भी हो चुकी है.
हसीना पारकर और अमीना बी ने दिल्ली हाई कोर्ट के फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनोती दी है. दाऊद इब्राहिम की बहन हसीना पारकर और मां अमीना बी की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया कि उनको एक मौका दिया जाए ताकि वो जब्ती नोटिस को चुनौती दे सके. उनकी दलील थी कि वो नोटिस पर अपील नहीं कर पाए क्योंकि उन्हें सही तरीके से नोटिस नहीं दिया गया था.
दरअसल SAFEMA (The Smugglers And Foreign Exchange Manipulators (Forfeiture Of Property) Act) के तहत हसीना पारकर और उनकी मां अमीना की संपत्ति को जब्त करने का फ़ैसला 1998 में ट्रिब्यूनल ने और 2012 में दिल्ली हाई कोर्ट ने सही ठहराया था.
नियम के मुताबिक 45 दिनों की समय सीमा के भीतर (SAFEMA के तहत) जब्ती नोटिस को चुनोती नहीं देने की वजह से कोर्ट ने इनकी याचिका को खारिज कर दिया था. केंद्र सरकार ने ये कदम तब उठाया था जब ये दोनों ये बता पाने में असफल रहे थे कि आखिर इनके पास ये संपति आई कहां से.
बता दें कि ये कार्रवाई दाउद के खिलाफ 1993 मुंबई बम धमाकों के बाद शुरु की गई थी. केंद्र सरकार का कहना था कि दाऊद इब्राहिम के सभी सबंधी SAFEMA के तहत आते हैं. SAFEMA के मुताबिक उनकी संपत्ति को जब्त करने का प्रावधान है जो स्मगलिंग के जरिये संपति को अर्जित करते हैं.
हसीना पारकर और अमीना बी ने दिल्ली हाई कोर्ट के फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनोती दी है. दाऊद इब्राहिम की बहन हसीना पारकर और मां अमीना बी की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया कि उनको एक मौका दिया जाए ताकि वो जब्ती नोटिस को चुनौती दे सके. उनकी दलील थी कि वो नोटिस पर अपील नहीं कर पाए क्योंकि उन्हें सही तरीके से नोटिस नहीं दिया गया था.
दरअसल SAFEMA (The Smugglers And Foreign Exchange Manipulators (Forfeiture Of Property) Act) के तहत हसीना पारकर और उनकी मां अमीना की संपत्ति को जब्त करने का फ़ैसला 1998 में ट्रिब्यूनल ने और 2012 में दिल्ली हाई कोर्ट ने सही ठहराया था.
नियम के मुताबिक 45 दिनों की समय सीमा के भीतर (SAFEMA के तहत) जब्ती नोटिस को चुनोती नहीं देने की वजह से कोर्ट ने इनकी याचिका को खारिज कर दिया था. केंद्र सरकार ने ये कदम तब उठाया था जब ये दोनों ये बता पाने में असफल रहे थे कि आखिर इनके पास ये संपति आई कहां से.
बता दें कि ये कार्रवाई दाउद के खिलाफ 1993 मुंबई बम धमाकों के बाद शुरु की गई थी. केंद्र सरकार का कहना था कि दाऊद इब्राहिम के सभी सबंधी SAFEMA के तहत आते हैं. SAFEMA के मुताबिक उनकी संपत्ति को जब्त करने का प्रावधान है जो स्मगलिंग के जरिये संपति को अर्जित करते हैं.
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