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This Article is From Jul 22, 2020

CJI को लेकर किए ट्वीट के लिए प्रशांत भूषण के खिलाफ SC में अवमानना की कार्यवाही शुरू

ऐसा दूसरी बार है जब सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की है. इसके पहले 2009 में उन्होंने एक मैगज़ीन के इंटरव्यू में तत्कालीन और पूर्व प्रधान न्यायाधीशों के खिलाफ आक्षेप लगाए थे.

CJI को लेकर किए ट्वीट के लिए प्रशांत भूषण के खिलाफ SC में अवमानना की कार्यवाही शुरू
प्रशांत भूषण (फाइल फोटो)
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
प्रशांत भूषण के खिलाफ SC में मानहानि केस
दो ट्वीट को लेकर दर्ज कराया गया है केस
कोर्ट के CJIs पर लगाए थे आरोप
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने वकील और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण के खिलाफ) (Lawyer-Activist Prashant Bhushan) के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू कर दी है. प्रशांत भूषण के खिलाफ उनके दो ट्वीट्स को लेकर यह कार्यवाही शुरू की गई है. जिनमें से एक में उन्होंने कहा था कि पिछले छह सालों में देश के चार प्रधान न्यायाधीशों की लोकतंत्र बरबाद करने में भूमिका रही है. दूसरा ट्वीट उन्होंने वर्तमान प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की पिछले महीने की उस तस्वीर को लेकर किया था, जिसमें वो हार्ले डेविडसन की बाइक पर बैठे नज़र आए थे. भूषण ने 'CJI बोबडे को बाइक पर बिना हेलमेट और मास्क के बैठने का आरोप लगाया था, जबकि कोर्ट को लॉकडाउन में रखा जा रहा है और लोगों से उनका न्याय का अधिकार छीना जा रहा है.'

CJI के करीबी सूत्रों ने NDTV को बताया था कि वो बाइक उनके पास एक डीलर के जरिए लाई गई थी और वो बाइक पर 'फील के लिए बैठे थे.' सूत्रों ने यह भी बताया कि उन्होंने मास्क भी पहन रखा था लेकिन बाइक पर बैठने के दौरान उन्होंने इसे निकालकर जेब में रख लिया था. 

बता दें कि इस मामले में शीर्ष अदालत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Twitter India के खिलाफ भी कार्यवाही कर रहा है. इसकी सुनवाई बुधवार यानी आज होनी है. तीन जजों की बेंच, जिसमें- जस्टिस अरुण मिश्रा, बीआर गवई और कृष्ण मुरारी शामिल हैं, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए केस की सुनवाई करेगी. 

क्या है मामला?

दरअसल, पिछले महीने प्रशांत भूषण ने एक ट्वीट में सुप्रीम कोर्ट में पिछले छह सालों में नियुक्त प्रधान न्यायाधीशों पर लोकतंत्र को बरबाद करने का आरोप लगाया था, जिसमें उन्होंने लिखा था कि 'भविष्य में जब इतिहासकार इन पिछले छह सालों पर नज़र डालेंगे और देखेंगे कि कैसे भारत में बिना किसी औपचारिक आपातकाल के भी लोकतंत्र को बरबाद किया गया है, तो इसमें सुप्रीम कोर्ट की भूमिका को भी देखेंगे, खासकर पिछले छह सालों में चुने गए चार CJIs की.'

पिछले कुछ वक्त में प्रशांत भूषण लगातार सुप्रीम कोर्ट की आलोचना करते रहे हैं. कोरोनावायरस लॉकडाउन के बीच प्रवासी मजदूरों के मामले पर सुप्रीम कोर्ट के रवैये से लेकर उन्होंने भीमा-कोरेगांव केस में जेल में बंद कार्यकर्ताओं वरवरा राव और सुधा भारद्वा़ज को दिए जा रहे ट्रीटमेंट पर भी सवाल उठाए है. 

ऐसा दूसरी बार है जब सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की है. इसके पहले 2009 में उन्होंने एक मैगज़ीन के इंटरव्यू में तत्कालीन और पूर्व प्रधान न्यायाधीशों के खिलाफ आक्षेप लगाए थे. इस मामले में आखिरी सुनवाई मई, 2012 में हुई थी और यह मामला अभी अटका हुआ है.

(PTI से इनपुट के साथ)

Video: हार्ले डेविडसन की सुपरबाइक पर नजर आए CJI एसए बोबडे

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