सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली:
रोहतक में हत्या के मामले में आदेशों के बावजूद आरोपी पूर्व एमएलए बलबीर सिंह बाली को गिरफ्तार न करने के मामले में सीबीआई ने बड़े सवाल उठा दिए हैं। इसे लेकर सीबीआई ने जांच रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की है। सीबीआई ने जांच रिपोर्ट में कहा है कि 384 दिनों तक आरोपी पूर्व एमएलए बलबीर सिंह बाली को अस्पताल में रखने की फीस हॉस्पिटल ने नहीं ली। 47 बार बलबीर सिंह बाली हॉस्पिटल से बाहर गया, जब वह भर्ती था। तीसरी बार जब बलबीर सिंह बाली को 11 अप्रैल 2014 से 1 मई 2015 तक भर्ती किया गया था, तब इसकी कोई जरूरत नहीं थी।
पूर्व विधायक बाली 527 दिनों तक हॉस्पिटल ने जरूरत न होने पर भी भर्ती रखा
527 दिनों तक बलबीर सिंह बाली की हालत सामान्य थी फिर भी हॉस्पिटल ने उन्हें भर्ती रखा। हॉस्पिटल और बलबीर सिंह बाली के बीच जरूर कोई सांठ-गांठ है नहीं तो लंबे समय तक कोई हॉस्पिटल किसी को नहीं रखता। सीबीआई ने पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठाए और कहा कि पुलिस ने गिरफ्तार करने में देरी की। रोहतक में हत्या के मामले में आदेशों के बावजूद आरोपी पूर्व विधायक को गिरफ्तार न करने पर कड़ा रुख अपनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने गुड़गांव के उस प्राइवेट अस्पताल को भी जमकर लताड़ा, जिसने विधायक का फरार होने के दौरान इलाज किया। कोर्ट ने कहा था कि आप बिना पैसे लिए किसी की डेड बॉडी भी उसके परिजनों को नहीं देते, लेकिन इस मामले में 30 लाख रुपये बकाया होने के बावजूद आरोपी को जाने दिया गया?
अदालत की अवमानना का मामला
सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला याचिकाकर्ता सीताराम की अदालत की अवमानना की अर्जी पर सुनाया था। याचिका में कहा गया था कि 26 अक्टूबर 2013 को सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व एमएलए बलबीर सिंह बाली की जमानत खारिज कर दी थी और उसे फौरन सेरेंडर करने के आदेश दिए थे। इससे पहले पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने उसे जमानत दी थी। लेकिन आरोपी ने न तो सरेंडर किया और न ही उसे पुलिस ने गिरफ्तार किया।
पूर्व विधायक बाली 527 दिनों तक हॉस्पिटल ने जरूरत न होने पर भी भर्ती रखा
527 दिनों तक बलबीर सिंह बाली की हालत सामान्य थी फिर भी हॉस्पिटल ने उन्हें भर्ती रखा। हॉस्पिटल और बलबीर सिंह बाली के बीच जरूर कोई सांठ-गांठ है नहीं तो लंबे समय तक कोई हॉस्पिटल किसी को नहीं रखता। सीबीआई ने पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठाए और कहा कि पुलिस ने गिरफ्तार करने में देरी की। रोहतक में हत्या के मामले में आदेशों के बावजूद आरोपी पूर्व विधायक को गिरफ्तार न करने पर कड़ा रुख अपनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने गुड़गांव के उस प्राइवेट अस्पताल को भी जमकर लताड़ा, जिसने विधायक का फरार होने के दौरान इलाज किया। कोर्ट ने कहा था कि आप बिना पैसे लिए किसी की डेड बॉडी भी उसके परिजनों को नहीं देते, लेकिन इस मामले में 30 लाख रुपये बकाया होने के बावजूद आरोपी को जाने दिया गया?
अदालत की अवमानना का मामला
सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला याचिकाकर्ता सीताराम की अदालत की अवमानना की अर्जी पर सुनाया था। याचिका में कहा गया था कि 26 अक्टूबर 2013 को सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व एमएलए बलबीर सिंह बाली की जमानत खारिज कर दी थी और उसे फौरन सेरेंडर करने के आदेश दिए थे। इससे पहले पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने उसे जमानत दी थी। लेकिन आरोपी ने न तो सरेंडर किया और न ही उसे पुलिस ने गिरफ्तार किया।
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