सुप्रीम कोर्ट.
नई दिल्ली:
जजों की नियुक्ति को लेकर न्यायपालिका और केंद्र के बीच सीधा टकराव आज सुप्रीम कोर्ट में दिखा. जस्टिस मदन बी लोकुर और अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल के बीच जमकर गरमा गरम बहस हुई.
मणिपुर के एक मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस लोकुर ने AG से पूछा कि फिलहाल हाइकोर्टों में जजों की नियुक्ति को लेकर कोलेजियम की कितनी सिफारिश लम्बित हैं? AG ने कहा कि मुझे ये जानकारी जुटानी होगी.
जस्टिस लोकुर ने कहा कि सरकार के साथ यही दिक्कत है. मौके पर सरकार कहती है कि जानकारी लेनी होगी. इस पर AG ने कहा कि कोलेजियम को बड़ी तस्वीर देखनी चाहिए. ज़्यादा नामों की सिफारिश भेजनी चाहिए. कई हाइकोर्टों में 40 तक जजों के पद खाली हैं पर कॉलेजियम सिर्फ 3-4 नाम भेजता है और फिर कहा जाता है कि सरकार कुछ नहीं कर रही है.
वेणुगोपाल ने कहा- यदि कोई कॉलेजियम सिफारिश नहीं है, तो कुछ भी नहीं किया जा सकता. तब कोर्ट ने सरकार को याद दिलाया कि उन्हें नियुक्तियां करनी होंगी.
यह भी पढ़ें : जजों की नियुक्ति पर अंतिम फैसले का अधिकार कॉलेजियम को : सोली सोराबजी
दरअसल कॉलेजियम ने 19 अप्रैल को मेघालय हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के लिए न्यायमूर्ति एम याकूब मीर और मणिपुर उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस के लिए न्यायमूर्ति रामलिंगम सुधाकर के नामों की सिफारिश की थी. वेणुगोपाल ने कहा कि दोनों की नियुक्ति के लिए जल्द आदेश जारी होंगे. कोर्ट ने कहा आपका जल्द तीन महीने भी हो सकता है.
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गौरतलब है कि 17 अप्रैल को मणिपुर उच्च न्यायालय से गुवाहाटी उच्च न्यायालय में मामले के ट्रांसफर याचिका की सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि उत्तर-पूर्वी राज्यों में मणिपुर, मेघालय और त्रिपुरा जैसे उच्च न्यायालयों में खराब हालात हैं. मणिपुर उच्च न्यायालय में सात की स्वीकृत शक्ति के खिलाफ केवल दो न्यायाधीश हैं जबकि मेघालय उच्च न्यायालय में चार की स्वीकृत शक्ति के खिलाफ एक न्यायाधीश है. त्रिपुरा उच्च न्यायालय के चार न्यायाधीशों की स्वीकृत शक्ति के खिलाफ दो न्यायाधीश हैं.
VIDEO : न्यायपालिका के भीतर सुलगते सवाल
कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से मेघालय, मणिपुर और त्रिपुरा की उच्च न्यायालयों में रिक्तियों के संबंध में 10 दिनों में हलफनामा दाखिल करने को कहा. जस्टिस केएम जोसफ की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति की सिफारिशों पर केंद्र सरकार ने तीन महीने बाद फाइल को वापस भेज दिया था.
मणिपुर के एक मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस लोकुर ने AG से पूछा कि फिलहाल हाइकोर्टों में जजों की नियुक्ति को लेकर कोलेजियम की कितनी सिफारिश लम्बित हैं? AG ने कहा कि मुझे ये जानकारी जुटानी होगी.
जस्टिस लोकुर ने कहा कि सरकार के साथ यही दिक्कत है. मौके पर सरकार कहती है कि जानकारी लेनी होगी. इस पर AG ने कहा कि कोलेजियम को बड़ी तस्वीर देखनी चाहिए. ज़्यादा नामों की सिफारिश भेजनी चाहिए. कई हाइकोर्टों में 40 तक जजों के पद खाली हैं पर कॉलेजियम सिर्फ 3-4 नाम भेजता है और फिर कहा जाता है कि सरकार कुछ नहीं कर रही है.
वेणुगोपाल ने कहा- यदि कोई कॉलेजियम सिफारिश नहीं है, तो कुछ भी नहीं किया जा सकता. तब कोर्ट ने सरकार को याद दिलाया कि उन्हें नियुक्तियां करनी होंगी.
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दरअसल कॉलेजियम ने 19 अप्रैल को मेघालय हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के लिए न्यायमूर्ति एम याकूब मीर और मणिपुर उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस के लिए न्यायमूर्ति रामलिंगम सुधाकर के नामों की सिफारिश की थी. वेणुगोपाल ने कहा कि दोनों की नियुक्ति के लिए जल्द आदेश जारी होंगे. कोर्ट ने कहा आपका जल्द तीन महीने भी हो सकता है.
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गौरतलब है कि 17 अप्रैल को मणिपुर उच्च न्यायालय से गुवाहाटी उच्च न्यायालय में मामले के ट्रांसफर याचिका की सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि उत्तर-पूर्वी राज्यों में मणिपुर, मेघालय और त्रिपुरा जैसे उच्च न्यायालयों में खराब हालात हैं. मणिपुर उच्च न्यायालय में सात की स्वीकृत शक्ति के खिलाफ केवल दो न्यायाधीश हैं जबकि मेघालय उच्च न्यायालय में चार की स्वीकृत शक्ति के खिलाफ एक न्यायाधीश है. त्रिपुरा उच्च न्यायालय के चार न्यायाधीशों की स्वीकृत शक्ति के खिलाफ दो न्यायाधीश हैं.
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कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से मेघालय, मणिपुर और त्रिपुरा की उच्च न्यायालयों में रिक्तियों के संबंध में 10 दिनों में हलफनामा दाखिल करने को कहा. जस्टिस केएम जोसफ की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति की सिफारिशों पर केंद्र सरकार ने तीन महीने बाद फाइल को वापस भेज दिया था.
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