विज्ञापन
This Article is From Jan 04, 2013

यौन उत्पीड़न मामलों पर सरकार को सर्वोच्च न्यायालय का नोटिस

नई दिल्ली: यौन उत्पीड़न से सम्बंधित सभी मामलों की सुनवाई में तेजी लाने और पीड़ित पक्ष को मुआवजा देने की मांग को लेकर दायर दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा।

न्यायालय ने अतिरिक्त अदालतें गठित करने, न्यायिक बुनियादी ढांचा बेहतर बनाने तथा मौजूदा रिक्तियों को भरने से सम्बंधित याचिका पर भी नोटिस जारी किए।

सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन तथा न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की पीठ ने हालांकि उस याचिका को खारिज कर दी, जिसमें आपराधिक मामलों का सामना कर रहे संसदीय प्रतिनिधियों को अयोग्य ठहराने की मांग की गई थी।

न्यायालय ने कहा कि वह ऐसी याचिका पर आदेश नहीं दे सकता और इसलिए वह लोगों के मौलिक अधिकारों के उल्लंघन से सम्बंधित आवेदनों पर ही नोटिस जारी कर रहा है।

न्यायालय ने याचिकाकर्ता और भारतीय प्रशासनिक सेवा की पूर्व अधिकारी प्रोमिला शंकर की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता एमएन कृष्णानी से कहा, "इस तरह की राहत नहीं मांगी जा सकती।"

न्यायालय ने निजी लोगों को मुहैया कराई गई पुलिस सुरक्षा को वापस लेने के आवेदन पर भी नोटिस जारी करने से इंकार कर दिया। न्यायालय ने कहा कि इससे संविधान के अनुच्छेद-21 का उल्लंघन होगा, जो निजी जान-माल की सुरक्षा की गारंटी देता है।

बाकी याचिकाओं पर नोटिस जारी करते हुए न्यायालय ने कहा, "हम महसूस करते हैं कि ये जनता के मौलिक अधिकार हैं, जिनका उल्लंघन हुआ है, इसलिए हम नोटिस जारी करेंगे।"

इसके पहले कृष्णानी ने सर्वोच्च न्यायालय से कहा कि याचिका के आग्रह बहुत व्यापक हैं और ये व्यापक मुद्दों को समाहित करते हैं, जिसमें महिलाओं की सुरक्षा का मुद्दा भी शामिल है। दूसरी जनहित याचिका ओमिका दुबे द्वारा दायर की गई थी।
न्यायालय ने केंद्र सरकार से सभी नोटिस का जवाब चार सप्ताह के भीतर मांगा है।

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Supreme Court, Lawmakers, Sexual Assault, यौन उत्पीड़न, सर्वोच्च न्यायालय का नोटिस
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com