नई दिल्ली:
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- सुप्रीम कोर्ट को सिर्फ खबरों में हेडलाइन बनाने के लिए कोई आदेश जारी नहीं करना चाहिए. केंद्र को इस मामले को राजनयिक तरीके से हल करने के लिए छोड देना चाहिए. केंद्र सरकार इस मुद्दे को म्यांमार और बांग्लादेश के साथ उठा रही है. लेकिन इसका ब्यौरा सबको नहीं दे सकती. देश में किसी को भी स्वास्थ्य सेवा से वंचित नही रखा गया है चाहे वो देश का नागरिक हो या नही. केंद्र सरकार ने कहा कि अगर कोई हॉस्पिटल जाता है तो क्या उससे ये पूछा जाता है कि आप देश के नागरिक हो या नही.
दरअसल सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से प्रशांत भूषण ने कहा कि देश में रहने वाले रोहिंग्या को स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा सेवा नही दी जा रही है. सुप्रीम कोर्ट 9 अप्रैल को करेगा मामले की अगली सुनवाई. रोहिंग्या मुसलमानों को वापस म्यांमार भेजने के केन्द्र के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. इससे पहले केंद्र सरकार ने इस मामले में हलफनामा दायर किया था.
केंद्र सरकार ने सुप्रीम से कहा कि वह उनको बाध्य नहीं कर सकती कि रोहिंग्या मुसलमानों को भारत आने दिया जाए. जिनके पास वैलिड ट्रेवल सर्टिफिकेट होगा बस उन्हीं को आने की अनुमति होगी. रोहिंग्या मुसलमानों अगर वह बिना वैलिड यात्रा सर्टिफिकेट के भारत में आते है तो वह राष्ट्र हित में नही होगा.
भारत में शरणार्थियों को भारत मे पहचान पत्र देने की कोई नीति नहीं है. श्रीलंकन तमिल शरणार्थियों की तुलना रोहिंग्या मुसलमानों शरणार्थियों से नहीं की जा सकती क्यो की द्विपक्षीय संधि के तहत तमिल शरणार्थियों को भारत आने की इजाजत दी गयी थी.
दरअसल सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से प्रशांत भूषण ने कहा कि देश में रहने वाले रोहिंग्या को स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा सेवा नही दी जा रही है. सुप्रीम कोर्ट 9 अप्रैल को करेगा मामले की अगली सुनवाई. रोहिंग्या मुसलमानों को वापस म्यांमार भेजने के केन्द्र के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. इससे पहले केंद्र सरकार ने इस मामले में हलफनामा दायर किया था.
केंद्र सरकार ने सुप्रीम से कहा कि वह उनको बाध्य नहीं कर सकती कि रोहिंग्या मुसलमानों को भारत आने दिया जाए. जिनके पास वैलिड ट्रेवल सर्टिफिकेट होगा बस उन्हीं को आने की अनुमति होगी. रोहिंग्या मुसलमानों अगर वह बिना वैलिड यात्रा सर्टिफिकेट के भारत में आते है तो वह राष्ट्र हित में नही होगा.
भारत में शरणार्थियों को भारत मे पहचान पत्र देने की कोई नीति नहीं है. श्रीलंकन तमिल शरणार्थियों की तुलना रोहिंग्या मुसलमानों शरणार्थियों से नहीं की जा सकती क्यो की द्विपक्षीय संधि के तहत तमिल शरणार्थियों को भारत आने की इजाजत दी गयी थी.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं