शाहीन बाग़ में नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में जारी आंदोलन के ख़िलाफ़ याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम धरने पर कुछ नहीं कह रहे हैं लेकिन सवाल ये है कि यह धरना कहां हो रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारी चिंता इस बात पर है कि यह प्रदर्शन सड़क पर किया जा रहा है, इस केस या फिर किसी भी केस में सड़क को ब्लॉक नहीं किया जा सकता है. इसके जवाब में शाहीन बाग पक्ष के वकील ने कहा कि हमें इसके लिए थोड़ा समय चाहिए. इस पर कोर्ट ने कहा कि अगर दूसरे मामले में भी रोड ब्लॉक करके इस तरह का प्रदर्शन करते हैं तो अफरातफरी मच जाएगी.
याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने धरना प्रदर्शन को लेकर गाइडलाइन बनाई थी, लेकिन यहां यहां सडक को बंद कर रखा है.
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सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह रोड को बंद करके प्रदर्शन करने का आइडिया किसी को भी आएगा, बेहतर होगा कि प्रदर्शन को किसी अन्य स्थान पर शिफ्ट किया जाए. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर बातचीत के लिए संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन नियुक्त किया है. मामले की अगली सुनवाई सोमवार को होगी.
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शाहीन बाग के याचिकाकर्ता नंद किशोर गर्ग ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा, 'मैं चाहता था कि सुप्रीम कोर्ट स्पष्ट फैसला दे. बहुत देर हो गई है. विवाद का एक सम्मानीय रास्ता निकलना चाहिए. संजय हेगड़े एक वरिष्ठ वकील हैं, अगर वे चाहें तो ये विवाद 2-3 दिन में सुलझ सकता है. प्रदर्शन के लिए वैकल्पिक जगह रामलीला मैदान, बुराड़ी और जंतर-मंतर है.'
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