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सुजाता अगले साल जुलाई में सेवानिवृत्त होने वाली थीं लेकिन अब उनके कार्यकाल में दो साल की वृद्धि हो गई है। वह रंजन मथाई की जगह लेंगी जो 31 जुलाई को सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सुजाता की नियुक्ति को मंजूरी दे दी जिसके बाद महीनों से चल रही इन अटकलों पर विराम लग गया कि विदेश सेवा की अगुवाई कौन करेगा।
59 वर्षीय सुजाता वर्ष 1976 बैच की आईएफएस अधिकारी हैं। विदेश सचिव के पद की दावेदारी में, चीन में इन दिनों भारत के राजदूत एस जयशंकर भी थे जो सुजाता से एक बैच जूनियर हैं। खास तौर पर चीन में राजदूत के तौर पर उनका शानदार रिकॉर्ड होने की वजह से विदेश सचिव के पद के लिए उनके नाम की चर्चा थी।
सुजाता अगले साल जुलाई में सेवानिवृत्त होने वाली थीं लेकिन अब उनके कार्यकाल में दो साल की वृद्धि हो गई है। वह रंजन मथाई की जगह लेंगी जो 31 जुलाई को सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं।
चोकिला अय्यर और निरूपमा राव के बाद सुजाता विदेश सचिव बनने वाली तीसरी महिला होंगी। वह कांग्रेस के रसूखदार नेताओं के करीबी समझे जाने वाले पूर्व आईबी प्रमुख टीवी राजेश्वर की पुत्री हैं।
वह पूर्व सचिव (पूर्वी क्षेत्र) संजय सिंह की पत्नी हैं जो इसी साल अप्रैल में सेवानिवृत्त हुए हैं।
ऐसी खबरें थीं कि अगर जयशंकर को विदेश सचिव बनाया जाएगा तो उस स्थिति में सुजाता और जयशंकर से वरिष्ठ अन्य राजनयिक इस्तीफा देने पर विचार कर रहे हैं। आखिरकार, प्रधानमंत्री ने वरिष्ठता को महत्व दिया। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पिछले सप्ताह कश्मीर दौरे से लौटने के बाद सुजाता के नाम को मंजूरी दी।
हालांकि सुजाता भारत के किसी भी पड़ोसी देश में राजनयिक नहीं रही हैं लेकिन यूरोप, इटली और फ्रांस में अपनी पदस्थापना से पहले वह वर्ष 1982 से 1985 के बीच नेपाल के लिए अवर सचिव रह चुकी हैं।
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