पंजाब-यूपी के लिए प्रशांत किशोर ही बने रहेंगे कांग्रेस के मुख्य रणनीतिकार : सूत्र

पंजाब-यूपी के लिए प्रशांत किशोर ही बने रहेंगे कांग्रेस के मुख्य रणनीतिकार : सूत्र

खास बातें

  • मीडिया में दावा किया गया था, प्रशांत को कांग्रेस निकालने जा रही है
  • कहा जा रहा है कि प्रशांत ने मुलायम से मुलाकात कर कांग्रेस को नाराज़ किया
  • सूत्रों ने इंकार किया कि CWC की बैठक में प्रशांत किशोर को लेकर चर्चा हुई

अतीत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के चुनावी अभियानों की रणनीति बनाकर जीत हासिल कर चुके 37-वर्षीय चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के करीबी सूत्रों का दावा है कि पंजाब तथा उत्तर प्रदेश में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के लिए प्रशांत ही कांग्रेस के मुख्य रणनीतिकार बने रहेंगे.

टीवी चैनलों तथा समाचारपत्रों में प्रकाशित रिपोर्टों में दावा किया गया था कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से 'उधार' लिए गए प्रशांत किशोर को कांग्रेस निकालने जा रही है.

कहा जा रहा है कि प्रशांत किशोर ने उत्तर प्रदेश में सत्तासीन समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव से मुलाकात कर कांग्रेस को नाराज़ कर दिया है, जो अपने शीर्ष पदों पर बैठे नेताओं के ही पीछे चलने की परम्परा का पालन करती रही है.

पिछले सप्ताह प्रशांत किशोर ने दिल्ली में मुलायम सिंह यादव से मुलाकात की थी, और कांग्रेस के यूपी अध्यक्ष राज बब्बर के अनुसार, प्रशांत किशोर को इस कदम की इजाज़त नहीं दी गई थी. NDTV से बात करते हुए राज बब्बर ने कहा था, "यह आज़ाद मुल्क है, वह किसी से भी मुलाकात कर सकते हैं..." साथ ही राज बब्बर ने समाजवादी पार्टी से तब तक गठबंधन स्थापित करने के प्रति कांग्रेस की अनिच्छा पर भी ज़ोर दिया, जब तक मुलायम सिंह यादव अपने पुत्र तथा यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से जारी जंग को खत्म नहीं कर देते.

लेकिन इस आलोचना से कतई विचलित हुए बिना प्रशांत किशोर ने सोमवार को लगभग दो घंटे की बैठक अखिलेश यादव से भी की, जिसे कांग्रेस के भीतर कथित रूप से 'एक बार फिर अवज्ञा' के रूप में देखा जा रहा है. लेकिन प्रशांत किशोर के करीबी सूत्रों का कहना है, "कांग्रेस के भीतर मौजूद लोग ही इस तरह की कहानियां फैला रहे हैं... वह (प्रशांत किशोर) अब भी पार्टी के लिए ही काम कर रहे हैं..."

इस साल मार्च से ही, जब प्रशांत किशोर ने कांग्रेस की चुनावी रणनीति तैयार करने का बीड़ा उठाया था, पार्टी के भीतर ऐसे लोगों द्वारा उनका लगातार विरोध किया जा रहा है, जो संभवतः गांधी परिवार तक उनकी बेरोकटोक पहुंच से असहज महसूस कर रहे हैं, क्योंकि यही परिवार पार्टी का धुरा रहा है. प्रशांत किशोर के विरोधियों में गुलाम नबी आज़ाद और राज बब्बर शामिल रहे हैं, और हालिया दिनों में इनमें अहमद पटेल का नाम भी जुड़ गया है, जो कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी के शीर्ष सहायक हैं.

सूत्रों ने इस बात से इंकार किया है कि कांग्रेस कार्यसमिति की सोमवार को हुई बैठक में प्रशांत किशोर को लेकर विस्तार से चर्चा की गई. पार्टी की निर्णय लेने वाली शीर्ष संस्था के इस सत्र की अध्यक्षता पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने की थी, क्योंकि उनकी मां तथा पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की तबीयत ठीक नहीं थी.

प्रशांत किशोर के सहयोगी स्वीकार करते हैं कि प्रत्याशियों के चयन और साझेदारियों को लेकर सलाह देने की आदत की वजह से ज़्यादा लोग उन्हें मित्र नहीं मानते हैं, लेकिन उनका कहना है कि प्रशांत किशोर अपने काम को सिर्फ आंकड़े इकट्ठा करना नहीं, बल्कि जीत का संभावित रास्ता बनाना मानते हैं.

इस बार यह बेहद मुश्किल काम है, क्योंकि उत्तर प्रदेश के पिछले चुनाव में कांग्रेस चौथे स्थान पर रही थी, और दो साल पहले हुए लोकसभा चुनाव में पूरे राज्य से पार्टी के दो ही सांसद - पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी व उपाध्यक्ष राहुल गांधी - जीत पाए थे.

प्रशांत किशोर की यादवों से मुलाकात को पिछले साल बिहार में बनाए गए गैर-बीजेपी 'महागठबंधन' से जोड़कर देखा जा रहा है, जिसमें कांग्रेस भी शामिल थी, और जिसने नीतीश कुमार को लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री पद पर पहुंचाने में कामयाबी हासिल की थी. जीतने के बाद नीतीश कुमार ने प्रशांत किशोर के लिए एक सरकारी पद का सृजन किया, जिससे उनका दर्जा कैबिनेट मंत्री के बराबर हो गया. पंजाब और उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की मदद करने के बाद प्रशांत उसी पद पर लौट आने वाले हैं.


Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com