रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख गतिरोध के शांतिपूर्ण समाधान के लिए चीन के साथ हो रही बातचीत आगे भी जारी रहेगी और सैनिकों का पीछे हटना और आक्रामकता में कमी लाना ही आगे बढ़ने का तरीका है. थल सेना के कमांडरों के द्विवर्षीय सम्मेलन में सिंह ने कहा कि भारतीय सेना बेहद प्रतिकूल मौसम में भी डटी हुई है और दुश्मन बलों से देश की सीमा की अखंडता की रक्षा कर रही है.
रूस-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि में, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को थल सेना के शीर्ष कमांडरों से कहा कि वे भविष्य में भारत के सामने आने वाली हर संभव सुरक्षा चुनौती के लिए तैयार रहें जिनमें गैर-पारंपरिक युद्ध भी शामिल हैं. थियेटर कमांडर के गठन की प्रक्रिया के संबंध में सिंह ने कहा कि यह वक्त की मांग है.
उन्होंने कहा, ‘‘समेकित थियेटर कमान को औपचारिक रूप देना वक्त की मांग है और मैं खुश हूं कि इस दिशा में प्रगति हो रही है. मुझे सेना के वरिष्ठ नेतृत्व पर पूरा भरोसा है.'' सिंह ने कहा, ‘‘देश को अपनी सेना पर गर्व है और सरकार सेना को आगे बढ़ने में साथ देगी, फिर चाहे पर सुधार की बात हो या आधुनिकीकरण की.''
पश्चिमी सीमाओं पर हालात के संदर्भ में रक्षा मंत्री ने दुश्मन देशों द्वारा छद्म युद्ध के दौरान सीमा पार से होने वाले आतंकवाद पर भारतीय सेना की प्रतिक्रिया पर बधाई दी. रक्षा मंत्री ने ढाई साल का कार्यकाल सफलतापूवर्क पूरा करने पर सेना प्रमुख जनरल एम. एम. नरवणे को भी बधाई दी.
रक्षा मंत्रालय ने कहा, ‘‘उत्तरी सीमा पर मौजूदा हालात पर टिप्पणी करते हुए रक्षा मंत्री ने पूरा भरोसा जताया कि जब तक सैनिक मजबूती से तैनात हैं, शांतिपूर्ण समाधान के लिए चल रही बातचीत जारी रहेगी और सैनिकों का पीछे हटना तथा आक्रामकता में कमी ही आगे बढ़ने का रास्ता है.''
मंत्रालय के अनुसार, राजनाथ सिंह ने कहा, ‘‘यह हमारी सरकार का रूख है कि वह भीषण प्रतिकूल मौसम तथा दुश्मन बलों का सामना कर हमारे देश की रक्षा करने वाले सैनिकों को सर्वोत्तम हथियार, उपकरण और वस्त्र उपलब्ध कराएगी.''
सम्मेलन में हिस्सा लेने के बाद राजनाथ ने ट्वीट किया, ‘‘सेना के कमांडरों के सम्मेलन को आज संबोधित किया. अभियान संबंधी तैयारियों और क्षमताओं के लिए भारतीय सेना को बधाई दी. सैन्य नेतृत्व को भविष्य की किसी भी चुनौती से निपटने के लिए तैयार रहने को कहा फिर चाहे वह गैर-परंपरागत युद्ध हो या फिर कोई अन्य.''
कमांडरों ने चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों की व्यापक समीक्षा की और इसके साथ ही उन्होंने क्षेत्र के लिए रूस-यूक्रेन युद्ध के संभावित भू-राजनीतिक प्रभावों का आकलन किया.
थल सेना ने कहा कि रक्षा मंत्री सिंह ने देश के लिए 'निस्वार्थ' सेवा और स्वदेशीकरण के जरिए आधुनिकीकरण की दिशा में इसके अथक प्रयासों के लिए बल की सराहना की. पांच दिवसीय इस सम्मेलन का समापन शुक्रवार को होगा.
सैन्य कमांडरों का सम्मेलन एक शीर्ष स्तरीय कार्यक्रम है जो हर साल अप्रैल और अक्टूबर में आयोजित किया जाता है. यह सम्मेलन वैचारिक स्तर पर विचार-विमर्श के लिए संस्थागत मंच है और इससे भारतीय सेना के लिए महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय लेने में मदद मिलती है.
अधिकारियों ने बताया कि यूक्रेन में युद्ध के क्षेत्रीय सुरक्षा पर संभावित प्रभावों के साथ ही संघर्ष के विभिन्न सैन्य पहलुओं पर विस्तृत विचार-विमर्श किया गया.
उन्होंने कहा कि सैन्य कमांडरों ने पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले कुछ स्थानों पर चीन के साथ जारी सैन्य गतिरोध के मद्देनजर 3,400 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर देश की सैन्य तैयारियों की व्यापक समीक्षा की.
अधिकारियों ने बताया कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियान के साथ ही केंद्रशासित प्रदेश की समग्र स्थिति पर भी सम्मेलन में व्यापक रूप से विचार-विमर्श किया गया.
कमांडरों ने एलएसी के साथ बुनियादी ढांचे के विकास के संबंध में चर्चा की. सीमा से लगे प्रमुख क्षेत्रों में चीन द्वारा नए पुलों, सड़कों और बुनियादी संरचनाओं के निर्माण के मद्देनजर भारत सीमावर्ती क्षेत्रों में आधारभूत ढांचे के विकास पर जोर दे रहा है.
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