बाहुबली नेता शहाबुद्धीन के पीछे खड़ा पत्रकार हत्याकांड में वांछित शूटर मो कैफ (लाल घेरे में)
पटना:
जब बाहुबली नेता मो शहाबुद्धीन 11 साल बाद बेल पर जेल से निकलकर आए और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर अपना विवादित बयान दिया तो उस दिन के फोटोग्राफ और वीडियो फुटेज में उनके पीछे एक कथित शार्पशूटर मो कैफ को देखा गया.
इस साल मई में वरिष्ठ पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या के मामले में पुलिस मो कैफ की तलाश कर रही है और वह तब से फरार है. हालांकि शनिवार को वह न सिर्फ शहाबुद्धीन की रिहाई के वक्त भागलपुर जेल के बाहर उनके स्वागत के लिए मौजूद था, बल्कि बाहुबली के सीवान तक के 300 कारों के काफिले में भी सवार था.
मंगलवार को विपक्ष के नेता बीजेपी के सुशील मोदी ने कहा, ''शहाबुद्धीन और राजदेव रंजन के हत्यारों के करीबी संबंधों के बारे में अब इससे ज्यादा और आपको किस सबूत की जरूरत है?'' गौरतलब है कि रंजन हत्याकांड के बाद उपेंद्र सिंह समेत चार लोगों को पकड़ा गया था. उपेंद्र के तार भी शहाबुद्धीन से जुड़े माने जाते हैं.
दरअसल पिछले साल नीतीश कुमार-लालू यादव गठबंधन सरकार के सत्ता में आने के बाद महीनों से विपक्षी बीजेपी आरोप लगाती रही है कि 11 साल से जेल में बंद शहाबुद्धीन की वापसी होगी. विपक्षी पार्टी ने बिहार में ''जंगल राज'' की वापसी का आरोप लगाते हुए शहाबुद्धीन को बेल दिए जाने का विरोध करते हुए राज्यपाल से मुलाकात की. विपक्ष का आरोप है कि राज्य सरकार में लालू प्रसाद के प्रभाव की वजह से ही शहाबुद्धीन को राहत मिली है.
गौरतलब है कि 2005 में जब शहाबुद्धीन जेल गए थे तब बीजेपी, नीतीश कुमार के साथ थी. सीवान में शहाबुद्धीन के खौफ को खत्म करने का श्रेय नीतीश कुमार को जाता है. शहाबुद्धीन के ऊपर तकरीबन 40 आपराधिक मामले दर्ज है.
नीतीश कुमार और बीजेपी के अलग होने के बाद पिछले साल राज्य विधानसभा चुनाव से पहले धुर विरोधी लालू प्रसाद के साथ नीतीश कुमार ने हाथ मिलाया. चुनावों में उनको जबर्दस्त सफलता मिली और तब से इस साझेदारी के मजबूत होने के लगातार दावे किए जाते रहे हैं.
लेकिन शहाबुद्धीन ने जेल से रिहा होते ही नीतीश कुमार के खिलाफ यह कहकर राजद के असंतुष्ट खेमे को आवाज दी कि गठबंधन समझौते के तहत ''नीतीश कुमार परिस्थितियों के मुख्यमंत्री हैं.''
इस साल मई में वरिष्ठ पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या के मामले में पुलिस मो कैफ की तलाश कर रही है और वह तब से फरार है. हालांकि शनिवार को वह न सिर्फ शहाबुद्धीन की रिहाई के वक्त भागलपुर जेल के बाहर उनके स्वागत के लिए मौजूद था, बल्कि बाहुबली के सीवान तक के 300 कारों के काफिले में भी सवार था.
मंगलवार को विपक्ष के नेता बीजेपी के सुशील मोदी ने कहा, ''शहाबुद्धीन और राजदेव रंजन के हत्यारों के करीबी संबंधों के बारे में अब इससे ज्यादा और आपको किस सबूत की जरूरत है?'' गौरतलब है कि रंजन हत्याकांड के बाद उपेंद्र सिंह समेत चार लोगों को पकड़ा गया था. उपेंद्र के तार भी शहाबुद्धीन से जुड़े माने जाते हैं.
दरअसल पिछले साल नीतीश कुमार-लालू यादव गठबंधन सरकार के सत्ता में आने के बाद महीनों से विपक्षी बीजेपी आरोप लगाती रही है कि 11 साल से जेल में बंद शहाबुद्धीन की वापसी होगी. विपक्षी पार्टी ने बिहार में ''जंगल राज'' की वापसी का आरोप लगाते हुए शहाबुद्धीन को बेल दिए जाने का विरोध करते हुए राज्यपाल से मुलाकात की. विपक्ष का आरोप है कि राज्य सरकार में लालू प्रसाद के प्रभाव की वजह से ही शहाबुद्धीन को राहत मिली है.
गौरतलब है कि 2005 में जब शहाबुद्धीन जेल गए थे तब बीजेपी, नीतीश कुमार के साथ थी. सीवान में शहाबुद्धीन के खौफ को खत्म करने का श्रेय नीतीश कुमार को जाता है. शहाबुद्धीन के ऊपर तकरीबन 40 आपराधिक मामले दर्ज है.
नीतीश कुमार और बीजेपी के अलग होने के बाद पिछले साल राज्य विधानसभा चुनाव से पहले धुर विरोधी लालू प्रसाद के साथ नीतीश कुमार ने हाथ मिलाया. चुनावों में उनको जबर्दस्त सफलता मिली और तब से इस साझेदारी के मजबूत होने के लगातार दावे किए जाते रहे हैं.
लेकिन शहाबुद्धीन ने जेल से रिहा होते ही नीतीश कुमार के खिलाफ यह कहकर राजद के असंतुष्ट खेमे को आवाज दी कि गठबंधन समझौते के तहत ''नीतीश कुमार परिस्थितियों के मुख्यमंत्री हैं.''
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