
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में 100 से ज्यादा विपक्षी सांसदों ने आज भूमि अधिग्रहण विधेयक के खिलाफ संसद से राष्ट्रपति भवन तक मार्च निकाला। समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, भाकपा और माकपा समेत करीब 10 राजनीतिक दलों के सांसदों और नेताओं ने कड़ी सुरक्षा के बीच निकले विरोध मार्च में भाग लिया।
कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दल भूमि अधिग्रहण विधेयक को किसान विरोधी और कॉर्पोरेट समर्थक बताते हुए इसका विरोध कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने सरकार विरोधी नारे लगाए और कहा कि जब तक मोदी सरकार विधेयक में बदलाव नहीं करती, उनका विरोध जारी रहेगा।
इस मार्च को लेकर विवाद भी खड़ा हो गया था। विपक्ष का कहना था कि उन्हें दिल्ली पुलिस से एक पत्र मिला है, जिसमें कहा गया है कि संसद सत्र के समय इस इलाके में धारा 144 लगी रहती है, इसलिए कोइ मार्च नहीं हो सकता। इस पर राज्यसभा में बहस हो गई। सरकार की तरफ से मुख्तार अब्बास नकवी कहते रहे कि विपक्ष मार्च नहीं कर सकता।
विपक्ष का कहना था कि राष्ट्रपति ने उन्हें समय दिया है और ये उनका हक बनता है कि वो कैसे भी उनसे मिलने जाएं। विपक्ष ने सरकार पर 'पुलिस राज' का इल्जाम लगाया।
बाद में गृह मंत्रालय और दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने सफाई दी कि सांसदों का यह विशेषाधिकार है कि वे पैदल भी जा सकते हैं और उन्हें कोइ नहीं रोकेगा। वैसे संसद भवन के आसपास काफी संख्या में पुलिस तैनात हैं। मगर इस वेवजह के विवाद ने विपक्ष को एक और मौका दिया है कि सरकार पर ताजा हमला कर सके।
इस मार्च में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, एचडी देवगौडा, सीताराम येचुरी, डी राजा, दिनेश त्रिवेदी, रामगोपाल यादव, कनिमोई, प्रेमचंद गुप्ता और दुष्यंत चौटाला शामिल होंगे।
सूत्रों के मुताबिक इस मार्च को लेकर कांग्रेस की ओर से अहम भूमिका निभाई जा रही है, जिसमें उस ज्ञापन को अंतिम रूप देना भी शामिल है जो आज शाम विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति को सौंपा जाएगा।
भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर कल भी कांग्रेस की ओर से जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया गया था, जिसमें पार्टी के कई बड़े नेता शामिल हुए थे।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं