कुछ गैर जिम्मेदार देश संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि की गलत व्याख्या कर रहे : राजनाथ सिंह

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन पर निशाना साधा, कहा - अपना आधिपत्य जमाने और संकीर्ण पक्षपाती हितों वाले कुछ गैर-जिम्मेदार देश अंतरराष्ट्रीय कानूनों की गलत व्याख्या कर रहे हैं

कुछ गैर जिम्मेदार देश संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि की गलत व्याख्या कर रहे : राजनाथ सिंह

भारतीय नौसेना के विध्वंसक युद्धपोत ‘विशाखापट्टनम’ को सेवा में शामिल किए जाने पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने समारोह को संबोधित किया.

मुंबई:

भारतीय नौसेना के विध्वंसक युद्धपोत ‘विशाखापट्टनम' को रविवार को यहां सेवा में शामिल किए जाने के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन पर निशाना साधते हुए कहा कि वर्चस्ववादी प्रवृत्तियों वाले ‘‘कुछ गैर-जिम्मेदार देश'' अपने संकीर्ण पक्षपातपूर्ण हितों के कारण संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि (UNCLOS) को गलत तरीके से परिभाषित कर रहे हैं. सिंह ने कहा कि यह चिंता की बात है कि यूएनसीएलओएस की परिभाषा की मनमानी व्याख्या कर कुछ देशों द्वारा इसे लगातार कमजोर किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि अपना आधिपत्य जमाने और संकीर्ण पक्षपाती हितों वाले कुछ गैर-जिम्मेदार देश अंतरराष्ट्रीय कानूनों की गलत व्याख्या कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि एक जिम्मेदार समुद्री हितधारक के रूप में, भारत सार्वभौमिक सिद्धांतों और शांतिपूर्ण, मुक्त, नियम-आधारित स्थिर समुद्री व्यवस्था का समर्थन करता है.

उल्लेखनीय है कि दक्षिण चीन सागर में चीन द्वीपों का सैन्यीकरण कर रहा है जिसकी वैश्विक रूप से आलोचना की जाती रही है. इस क्षेत्र को लेकर पूर्वी और दक्षिण पूर्वी कई एशियाई देशों के व्यापक दावे हैं. वर्ष 2016 में, एक अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण ने चीन के इस तर्क को खारिज कर दिया था कि उसे दक्षिण चीन सागर के अधिकांश हिस्से पर ऐतिहासिक अधिकार प्राप्त है. समुद्र का यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसे हाइड्रोकार्बन की प्रचुरता वाला सागर क्षेत्र माना जाता है और यह संचार संबंधी एक महत्वपूर्ण समुद्री मार्ग भी है. अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण के आदेश को चीन ने अमान्य करार दिया था.

सिंह ने कहा कि इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण देश के रूप में, भारत की नौसेना की भूमिका क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है. उन्होंने कहा कि वैश्विक सुरक्षा कारणों, सीमा विवादों और समुद्री प्रभुत्व को बनाए रखने के महत्व के कारण दुनियाभर के देश अपनी सैन्य शक्ति को मजबूत और आधुनिक बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं.

सिंह ने उल्लेख किया कि सैन्य उपकरणों की मांग बढ़ रही है और विभिन्न रिपोर्ट बताती हैं कि दुनियाभर में सुरक्षा लागत के 2,10,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है तथा 5-10 वर्षों में यह कई गुना बढ़ने की उम्मीद है. रक्षा मंत्री ने कहा, “हमारे पास अपनी पूरी क्षमता का उपयोग करने, नीतियों का लाभ उठाने और देश को स्वदेशी पोत निर्माण का केंद्र बनाने का अवसर है.”

प्रचंड वार करने में सक्षम स्वदेश निर्मित विध्वंसक पोत ‘विशाखापट्टनम' पनडुब्बियों को नष्ट करनेवाले रॉकेट और मिसाइल से लैस है. इसे नौसेना के शीर्ष कमांडरों की मौजूदगी में सेवा में शामिल किया गया.

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अधिकारियों ने बताया कि ‘आईएनएस विशाखापट्टनम' सतह से सतह और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल, मध्यम और छोटी दूरी की तोपों तथा उन्नत इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और संचार प्रणालियों सहित अन्य घातक अस्त्रों और सेंसर से भी लैस है. नौसेना अध्यक्ष एडमिरल करमबीर सिंह ने कहा कि युद्धपोत आत्मनिर्भरता का एक शानदार उदाहरण है.



(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)