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गुहा के मुताबिक स्मृति का रवैया वरिष्ठ प्रोफेसरों तक के साथ कठोर था
"मुझमें इसलिए आलोचना की हिम्मत है, क्योंकि किताबें लिखकर कमाता हूं"
स्मृति को बार-बार बदली जाने वाली नीतियों के संदर्भ में 'मनमौजी' बताया
स्मृति ईरानी का शिक्षामंत्री के रूप में दो साल का कार्यकाल विवादों, विपक्षी राजनेताओं से सार्वजनिक बहसों से भरा रहा है, जिसके दौरान उत्तर तथा दक्षिण भारत के यूनिवर्सिटी कैम्पसों में सरकार-विरोधी आंदोलन भी हुए, और उन पर ये आरोप भी लगे कि उनके ज़रिये उनकी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वैचारिक संरक्षक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कहने पर स्कूलों और कॉलेजों के पाठ्यक्रमों का 'भगवाकरण' किया जा रहा है।
लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स तथा येल में पढ़ा चुके प्रोफेसर रामचंद्र गुहा ने कहा कि स्मृति ईरानी ने अपने मंत्रालय की विश्वसनीयता को काफी नुकसान पहुंचाया है।
प्रोफेसर गुहा ने यह भी बताया कि स्मृति वरिष्ठ प्रोफेसरों तक के साथ कठोर रवैया अख्तियार किए रहती थीं। प्रोफेसर गुहा के अनुसार, "एक बैठक में एक आईआईटी डायरेक्टर ने जब स्मृति ईरानी से सवाल किया, तो उन्होंने कहा, 'क्या आप खुद को टीवी एंकर समझते हैं, जो मुझसे इस तरह का सवाल कर रहे हैं...'" और यही नहीं, "स्मृति ने टीवी एंकर का नाम भी लिया था..."
प्रोफेसर गुहा का कहना है कि वह सिर्फ इसलिए स्मृति की आलोचना करने की हिम्मत जुटा पा रहे हैं, क्योंकि वह बेंगलुरू में रहते हैं, और किताबें तथा कॉलम लिखकर आजीविका चलाते हैं, इसलिए उन्हें उत्पीड़न का डर नहीं है।
स्मृति ईरानी को बार-बार बदली जाने वाली नीतियों के संदर्भ में 'मनमौजी' बताते हुए प्रोफेसर गुहा ने कहा, "शैक्षणिक समुदाय उनके हटाए जाने का स्वागत करेगा..." स्मृति के स्थान पर मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय का कार्यभार संभालने वाले प्रकाश जावड़ेकर के बारे में प्रोफेसर गुहा ने कहा, "वह कम से कम शिष्ट तो हैं, और विद्वानों व विज्ञानियों का सम्मान करते हैं..." लेकिन उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि नए मंत्री को आरएसएस के प्रभाव में आने से बचना होगा।
स्मृति ईरानी पर विद्यार्थियों में फैले असंतोष को समझने और उससे निपटने में नाकामी के आरोप लगते रहे हैं। हैदराबाद में दलित छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या के बाद विवाद काफी दिन तक चलता रहा, और दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में भी छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया, जिसे लेकर कई दिन तक असंतोष फैला रहा। प्रोफेसर गुहा ने कहा कि स्मृति ईरानी यह स्वीकार करने में असफल रहीं कि यूनिवर्सिटी कैम्पस सवाल करने और तर्क-वितर्क करने की जगह होते हैं। उन्होंने कहा, "हैदराबाद और जेएनयू दोनों यूनिवर्सिटी में बहुत बढ़िया साइंस फैकल्टी है, लेकिन वह (स्मृति ईरानी) उनके खिलाफ थीं, क्योंकि उनका सोचना था कि वह कम्युनिस्ट कैम्पस हैं..."
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