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This Article is From Nov 26, 2020

चीट डिवाइस मामले में स्कोडा ऑटो वोक्सवैगन को झटका, नहीं रद्द होगी FIR

गाड़ियों में चीट डिवाइस मामले में स्कोडा ऑटो वोक्सवैगन (Skoda Auto Volkswagen) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से झटका लगा है. स्कोडा ऑटो वोक्सवैगन के खिलाफ दर्ज FIR रद्द नहीं होगी.

चीट डिवाइस मामले में स्कोडा ऑटो वोक्सवैगन को झटका, नहीं रद्द होगी FIR
SC ने इस मामले में फैसला सुनाया है. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

गाड़ियों में चीट डिवाइस मामले में स्कोडा ऑटो वोक्सवैगन (Skoda Auto Volkswagen) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से झटका लगा है. स्कोडा ऑटो वोक्सवैगन के खिलाफ दर्ज FIR रद्द नहीं होगी. कोर्ट ने अपने फैसले में स्कोडा ऑटो वोक्सवैगन की FIR रद्द करने की याचिका खारिज कर दी. चार नवंबर को सुनवाई के दौरान CJI एस ए बोबडे ने टिप्पणी की थी कि जब कोई शिकायतकर्ता धोखा देने का आरोप लगाता है, तो उसे जांच का सामना करना चाहिए.

वहीं कंपनी की ओर से पेश अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि NGT ने उस पर 500 करोड़ का जुर्माना लगाया था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. सिंघवी ने कहा कि अब एक FIR दर्ज कर ली गई है और उसमे भारतीय व जर्मनी अफसरों के नाम हैं. इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्कोडा ऑटो वोक्सवैगन और ऑडी के खिलाफ दर्ज FIR को रद्द करने से इनकार कर दिया था. कम उत्सर्जन दिखाने के लिए अपने वाहनों में "धोखा उपकरणों" के कथित मामले में अदालत ने कंपनी की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि कंपनी के वाहन BS-IV मानदंडों को पूरा करते हैं या नहीं, यह जांच का विषय है.

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दरअसल नोएडा के स्थानीय व्यवसायी अनिलजीत सिंह ने अपनी शिकायत में कहा कि उन्हें उत्सर्जन पर तथ्यों की गलत व्याख्या के बाद "घटिया" वाहन बेच दिए गए. उन्होंने कहा कि उन्होंने 2016 में करोड़ों रुपये की लागत से कारें खरीदीं. उन्होंने कार निर्माताओं को उनके वाहनों को खरीदने के लिए "प्रेरित" करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि ऐसा मानते हुए उन्होंने ये वाहन खरीदे कि ये देश के नये उत्सर्जन मानकों के अनुरूप तैयार किए गए हैं.

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सिंह ने अपनी शिकायत में कहा, "ये घटिया वाहन थे, जो धोखा देने वाले उपकरणों से लैस थे. शिकायतकर्ता द्वारा दी गई शिकायत के आधार पर नोएडा सेक्टर 20 पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई है. उल्लेखनीय है कि भारत के राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने मार्च 2019 में भारत में अपनी डीजल कारों में "धोखा देने वाले उपकरण" के उपयोग के माध्यम से पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए जर्मनी की वाहन कंपनी वोक्सवैगन पर 500 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था.

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