अखिलेश सरकार में कर्मचारियों की मौज, 6 महीने काम करने पर मिलेगी पूरे साल की सैलरी

लखनऊ:

आमतौर पर किसी भी राज्य में सरकार बदलने के साथ ही पॉलिसी में बदलाव होता है। सरकार बदलने का सीधा-सीधा अर्थ ही पुरानी पॉलिसी को दरकिनार करके नई पॉलिसी लागू होने से होता है। लेकिन उत्तर प्रदेश इस मामले में लीक से हटकर चलता है। यहां सरकार बदलने के साथ छुट्टियां भी बदल जाती हैं। करीब चार साल पुरानी अखिलेश सरकार द्वारा नई छुट्टियों की घोषणा के साथ ही अघोषित रूप से तय कर दिया गया है कि अब राज्य के सरकारी कर्मचारी साल में सिर्फ 6 महीने ही काम करेंगे।

राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और अखिलेश सरकार ने तीन और छुट्टियां बढ़ा दी हैं। ये छुट्टियां राजनीतिक नेताओं के नाम पर बढ़ाई गई हैं। ये तीनों छुट्टियां पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के जन्मदिन पर दी जाएंगी।

सरकार और समाजवादी पार्टी को इस तरह से तीन छुट्टियां बढ़ाने पर आलोचना का अंदेशा पहले से ही था, इसलिए पार्टी के एक विधायक ने इस फैसले का बचाव किया। उन्होंने कहा कि ऐसे नेताओं के जन्मदिन को मनाना जरूरी है, क्योंकि इनसे लोग प्रेरणा लेते हैं।

फिलहाल उत्तर प्रदेश में छुट्टियों की संख्या 38 हो गई है, जबकि मध्य प्रदेश और तमिलनाडु जैसे बड़े राज्यों में सरकारी छुट्टियों की संख्या 25 है। विधानसभा स्टाफ और विभागाध्यक्षों की 2 सप्ताहिक छुट्टियों, जिला स्तर के कर्मचारियों की 3 छुट्टियों और दो वैकल्पिक छुट्टियों को जोड़ दिया जाए तो राज्य में ज्यादातर कर्मचारियों को साल में 6 महीने की छुट्टियां मिलेंगी।

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हालांकि सभी सरकारी कर्मचारियों को 6 महीने की पूरी छुट्टी नहीं मिल पाएंगी। लेकिन इसी के साथ राज्य में 'छुट्टियों पर राजनीति' को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में एक याचिका भी दायर की गई है। याचिकाकर्ता अमिताभ ठाकुर का कहना है कि उन्होंने कोर्ट से छुट्टियां कम करने और कुछ नेताओं को छोड़कर हर राजनीतिक नेता के नाम पर दी जाने वाली छुट्टियों पर रोक लगाने की मांग की है।