भोपाल:
भोपाल सेंट्रल जेल में दीवाली वाली रात क्या हुआ, इससे अब एक-एक करके परतें खुल रही हैं. जो सच सामने आ रहा है, उससे साफ हो जाता है कि प्रतिबंधित संगठन सिमी के आठों सदस्य कई महीनों से जेल से भागने की योजना बना रहे थे. यह बात भी सामने आ रही है कि किसी अंदरूनी व्यक्ति ने भी इन कैदियों की मदद की थी.
भोपाल की जेल आईएसओ सर्टिफाइड है, यानी सुरक्षा के लिहाज से एकदम किले जैसी. इस पहलू के आधार पर जांच हो रही है कि इस मजबूत जेल के ताले इतने कमजोर कैसे निकले कि प्लास्टिक टूथब्रश की बनी चाबी से खुल गए. जांच से जुड़े अफसरों ने एनडीटीवी को बताया कि टूथब्रश के बेस से बनी करीब एक दर्जन चाबियां कैदियों की सेल से मिली है. एक चाबी लकड़ी की भी बनी हुई थी. सबसे हैरान करने वाली बात है कि किसी अंदरूनी व्यक्ति ने कैदियों तक प्लास्टिक की चाबी पहुंचाई. अब उस व्यक्ति की पहचान की कोशिश हो रही है.
यही नहीं करीब 40 चादरों की मदद से इन्होंने एक सीढ़ी भी बनाई, जिसके जरिये 35 फ़ीट ऊंची दीवार पार की. अब जांच चल रही है कि इतनी चादरें और चाबी के नमूने इनके सेल में कैसे पहुंचे. एक बड़ी चूक यह भी सामने आ रही है कि आईएसओ सर्टिफ़ाइड जेलों में ताले अक्सर बदले जाने चाहिए, तो यहां क्यों नहीं बदले गए.
यह भी करीब-करीब साफ हो चला है कि हेड कांस्टेबल रमाशंकर यादव इसीलिए मारे गए क्योंकि वो अचानक कैदियों के सामने पड़ गए. उनके हाथ में वायरलेस सेट था, जिसे अगर वो दबा देते तो अलार्म बज जाता.
जब सिमी के कैदी भोपाल जेल की दीवार फांद रहे थे, तब गेट पर खड़े एसएएफ जवान की नजर उन पर पड़ी और उसने अलार्म बजा दिया, लेकिन तब तक आठों कैदी सड़क पारकर खेतों में घुस गए थे. उधर, राज्य सरकार द्वारा गठित एक-सदस्यीय टीम ने बुधवार को सेंट्रल जेल का मुआयना किया कि आखिर जेल प्रशासन ने कहां-कहां गलतियां की.
भोपाल की जेल आईएसओ सर्टिफाइड है, यानी सुरक्षा के लिहाज से एकदम किले जैसी. इस पहलू के आधार पर जांच हो रही है कि इस मजबूत जेल के ताले इतने कमजोर कैसे निकले कि प्लास्टिक टूथब्रश की बनी चाबी से खुल गए. जांच से जुड़े अफसरों ने एनडीटीवी को बताया कि टूथब्रश के बेस से बनी करीब एक दर्जन चाबियां कैदियों की सेल से मिली है. एक चाबी लकड़ी की भी बनी हुई थी. सबसे हैरान करने वाली बात है कि किसी अंदरूनी व्यक्ति ने कैदियों तक प्लास्टिक की चाबी पहुंचाई. अब उस व्यक्ति की पहचान की कोशिश हो रही है.
यही नहीं करीब 40 चादरों की मदद से इन्होंने एक सीढ़ी भी बनाई, जिसके जरिये 35 फ़ीट ऊंची दीवार पार की. अब जांच चल रही है कि इतनी चादरें और चाबी के नमूने इनके सेल में कैसे पहुंचे. एक बड़ी चूक यह भी सामने आ रही है कि आईएसओ सर्टिफ़ाइड जेलों में ताले अक्सर बदले जाने चाहिए, तो यहां क्यों नहीं बदले गए.
यह भी करीब-करीब साफ हो चला है कि हेड कांस्टेबल रमाशंकर यादव इसीलिए मारे गए क्योंकि वो अचानक कैदियों के सामने पड़ गए. उनके हाथ में वायरलेस सेट था, जिसे अगर वो दबा देते तो अलार्म बज जाता.
जब सिमी के कैदी भोपाल जेल की दीवार फांद रहे थे, तब गेट पर खड़े एसएएफ जवान की नजर उन पर पड़ी और उसने अलार्म बजा दिया, लेकिन तब तक आठों कैदी सड़क पारकर खेतों में घुस गए थे. उधर, राज्य सरकार द्वारा गठित एक-सदस्यीय टीम ने बुधवार को सेंट्रल जेल का मुआयना किया कि आखिर जेल प्रशासन ने कहां-कहां गलतियां की.
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