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This Article is From Jul 01, 2011

'सरकार को लकवाग्रस्त करेगा जनलोकपाल विधेयक'

नई दिल्ली: मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि गांधीवादी अन्ना हज़ारे पक्ष के जनलोकपाल विधेयक को अगर स्वीकार किया जाता है तो इससे न्यायपालिका और कार्यपालिका लकवाग्रस्त हो जाएगी। लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिए गठित हुई संयुक्त समिति के सदस्य सिब्बल ने इस मुद्दे पर अपने ताजा लेख जन लोकपाल - बीमारी से घातक इलाज (भाग-दो) में प्रधानमंत्री पद, न्यायपालिका और सांसदों के आचरणों को लोकपाल के दायरे में लाने के प्रस्तावों का कड़ा विरोध किया है। सिब्बल ने कहा, प्रधानमंत्री कार्यालय हमारे संसदीय लोकतंत्र का प्रमुख केंद्र है। एक स्वतंत्र लेकिन निरंकुश जनलोकपाल पूरी व्यवस्था को बुरी तरह अस्थिर कर सकता है। ऐसा लोकपाल प्रधानमंत्री के खिलाफ जांच सिर्फ यह पता लगाने के लिए कर सकता है कि क्या उन पर लगे आरोप निराधार हैं। इससे संसदीय लोकतंत्र को ठेस पहुंचेगी। उन्होंने कहा कि मौजूदा व्यवस्था के तहत प्रधानमंत्री को अभियोजन से छूट प्राप्त नहीं है। किसी मामले में अगर तथ्य सार्वजनिक दायरे में हों तो व्यवस्था किसी भ्रष्ट व्यक्ति को प्रधानमंत्री पद पर नहीं बने रहने दे सकती। पत्र सूचना कार्यालय के जरिये जारी अपने लेख की दूसरी कड़ी में सिब्बल ने कहा कि अस्थिर पड़ोस और आतंकवाद के वास्तविक खतरे के बीच प्रधानमंत्री की संस्था को कमज़ोर करना ऐतिहासिक भूल होगी।

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