मध्यप्रदेश के कई शहरों में पांच रुपए में गरीबों को भरपेट भोजन कराने वाली दीनदयाल रसोई लगभग 20 दिनों से बंद है. रसोई चलाने वाले संचालकों का कहना है खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की ओर से राशन नहीं मिलने की वजह से उन्हें रसोई बंद करना पड़ी. वैसे राज्य की सत्ता पर काबिज होने के बाद कांग्रेस की कमलनाथ सरकार की नजरें शिवराज सरकार की कई महत्वाकांक्षी योजनाओं पर तिरछी ही रही हैं. राजधानी भोपाल के सुल्तानिया अस्पताल के सामने दीनदयाल रसोई हैं, यहां ताला लटका है. नोटिस चस्पा है कि 20 जून से रसोई बंद है. 5 रुपये में पेट भरने की आस लिए रसोई पहुंच रहे कई गरीब-मजदूर यहां से भूखे लौट रहे हैं. जावेद खान का कहना है, 'दस रूपये हमारी जेब में हैं, अपनी घरवाली को खाना खिलाने आया हूं, अब हम कहां जाएं भीख मांगें. खाना नहीं मिल रहा, छोटे-छोटे बच्चे भूखे मर रहे हैं. खाना नहीं मिल रहा है, बहुत दिनों से बंद है. रसोई चलाने वाले कह रहे हैं, खाद्य विभाग राशन नहीं दे रहा. लेकिन खाद्य एवं आपूर्ति विभाग विभाग के मंत्री प्रद्मुम्न सिंह तोमर कहते हैं ये गलत है. जवाब के बजाए वो खाद्य सुरक्षा कानून पर 'क्विज' खेलने लगे. उनका कहना है. 'राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून लाये थे, मध्य प्रदेश में सही पालन नहीं हो रहा था, आज प्रदेश में मंडला का व्यक्ति इंदौर में काम करने गया है तो वहां राशन मिले ये व्यवस्था हमने शुरू कर दी है. 5 वाली थाली अगर बंद हुई आपने संज्ञान में लाए हैं हम देखेंगे'.
वहीं इस मामले में बीजेपी ने कमलनाथ सरकार पर गरीबों का निवाला छिनने का आरोप लगाया. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि हमने इसलिए शुरू की थी ताकि उसे सस्ता भोजन कम से कम पैसों पर मिल जाए और पांच रुपये में उसे भरपेट भोजन दे रहे थे. अब सरकार ने उसी के लिए खाद्यान्न आवंटित नहीं किया और व्यवस्था नहीं की. गरीब के पेट पर लात मारकर इस सरकार को मिलेगा क्या'? शिवराज ने कहा, 'मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि इतने लोगों को कष्ट देने का काम यह सरकार क्यों कर रही है. इस योजना को बेहतर बनाते हमने पांच किया था उसे तीन करते तब तो ठीक था. गरीबों के पेट पर लात मारने वाली सरकार को गरीबों की बद्दुाएं. मेरी अपील है कि कम से कम इस तरह की योजनाएं तो सरकार बंद ना करें.
(दीन दयाल रसोई)
आपको बता दें कि 2017 में तत्कालीन शिवराज सरकार ने ये योजना शुरू की गई थी. तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के 'अम्मा कैंटीन' की तर्ज पर चलाई गई इस योजना का उद्देश्य गरीबों को महज 5 रुपये में भरपेट भोजन उपलब्ध कराना था, दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर शुरू की गई इस योजना का आरम्भ खुद शिवराज सिंह ने किया था.
(बंद हो गए दरवाजे)
इस योजना के तहत 5 रुपये में लोगों को चार रोटी, एक सब्जी, दाल चावल मिलता था. रसोई के लिए गेंहू, चावल, शक्कर उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी खाद्य विभाग की थी, लेकिन खाद्य विभाग ने जून से अनाज देना बंद कर दिया है. सूत्रों का कहना है कि सरकार दीनदयाल रसोई बंद करके इंदिरा थाली लाने की तैयारी कर रही है. इसलिए फिलहाल राशन पर कैंची चली है.
GROUND REPORT : मध्य प्रदेश में दम तोड़ रही दीनदयाल रसोई
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